“कार्बन रेवेन्यू फ्रॉम इंटरनेशनल शिपिंग” रिपोर्ट
हाल ही में विश्व बैंक ने “कार्बन रेवेन्यू फ्रॉम इंटरनेशनल शिपिंग” रिपोर्ट प्रकाशित की है।
यह रिपोर्ट पोत परिवहन उद्योग में कार्बन मूल्य निर्धारण को लागू करने के विकल्पों की पड़ताल करती है। इसके अलावा, रिपोर्ट यह भी तलाश करती है कि इस क्षेत्र में और इसके बाहर ऊर्जा संक्रमण को संभव बनाने के लिए कार्बन राजस्व का उपयोग कैसे किया जा सकता है।
मूल्य के हिसाब से वैश्विक व्यापार में समुद्री परिवहन का हिस्सा लगभग 70% है। मात्रा के हिसाब से वैश्विक व्यापार में समुद्री परिवहन का हिस्सा लगभग 80% है।
समुद्री परिवहन वैश्विक ग्रीनहाउस गैस (GHO) उत्सर्जन के लगभग 2-5% के लिए जिम्मेदार है।
अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) अपनी आरंभिक ग्रीनहाउस गैस रणनीति के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए उपायों पर विचार कर रहा है। इस रणनीति का उद्देश्य वर्ष 2050 तक पोतों से निरपेक्ष ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को वर्ष 2008 के स्तर से कम से कम 50% तक कम करना है।
कार्बन मूल्य निर्धारण, या तो कार्बन लेवी के रूप में या GHG उत्सर्जन को सीमित करके किया जा सकता है। यह पोत संचालकों को उत्सर्जन भत्तों को खरीदने और व्यापार करने की अनुमति प्रदान करता है। इससे इस क्षेत्र में राजस्व में वृद्धि के साथ-साथ ग्रीन ट्रांजीशन को भी बढ़ावा मिल सकता है।
कार्बन मूल्य निर्धारण के उपयोग के लाभ –
- इससे उन देशों को अधिक मात्रा में राजस्व आवंटित किया जा सकता है, जो जलवायु परिवर्तन या पोत परिवहन उत्सर्जन को कम करने की बहुत कम क्षमता रखते हैं।
- यह शून्य-कार्बन उत्सर्जन पोतों, शून्य-कार्बन उत्सर्जन ईंधन आदि के विकास का समर्थन करता है। इससे पोत परिवहन उद्योग के विकार्बनीकरण में मदद मिल सकती है।
- जलवायु परिवर्तन जनित चरम मौसम की घटनाओं, अत्यधिक भीड़भाड़, डिजिटलीकरण की कमी या कुशल श्रमिकों की कमी का सामना कर रहे समुद्री बंदरगाहों की क्षमता में वृद्धि कर समग्र प्रदर्शन में सुधार किया जा सकता है।
स्रोत –द हिन्दू