कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइजेशन (CCU) के लिए दो राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र निर्मित

कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइजेशन (CCU) के लिए दो राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र निर्मित

हाल ही में भारत में कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइजेशन (CCU) के लिए दो राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (NCoE) समर्पित किये गए हैं।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने इन केंद्रों को निम्नलिखित संस्थानों में स्थापित किया है:

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे और जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च, बेंगलुरु।

ये केंद्र निम्नलिखित पर ध्यान केन्द्रित करेंगे:

  • वैश्विक जलवायु में कार्बन डाइऑक्साइड की भूमिका को समझना।
  • औद्योगिक और ऊर्जा क्षेत्रकों से कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी करने हेतु रणनीतियाँ बनाना। प्रासंगिक सामग्री एवं कार्यप्रणालियां विकसित करके कार्बन कैप्चर और रूपांतरण को विकसित करना तथा प्रदर्शित करना।
  • कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइजेशन (CCU) पर अनुसंधान को बढ़ावा देना।
  • प्रशिक्षण और परामर्श प्रदान करना।
  • वैश्विक आर्थिक और सामाजिक प्रभाव वाले समाधानों में अपनी शोध उत्कृष्टता का उपयोग करना।
  • कार्बन कैप्चर, उपयोग और पृथक्करण या प्रच्छादन (sequestration) एक प्रक्रिया है। इसके तहत कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों जैसे स्रोतों से उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड को कैप्चर (अमिग्रहण) किया जाता है।
  • इसके बाद इसका फिर से उपयोग कर लिया जाता है या भंडारण कर लिया जाता है, ताकि यह वायुमंडल में प्रवेश न करे सके।
  • यह प्रक्रिया वायुमंडल में 85-95 प्रतिशत CO2 उत्सर्जन को अवशोषित कर सकती है।
  • वैश्विक स्तर पर, विद्युत उत्पादन संयंत्र और उद्योग कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लगभग 50 प्रतिशत हिस्से के लिए उत्तरदायी हैं। CCU कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए कुछ प्रमुख विकल्पों में से एक है। यह अभूतपूर्व गति से सतत विकास को जारी रख सकता है।
  • CCU, 17 सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) में से 5 लक्ष्यों के अनुरूप है। जैसे जलवायु कार्रवाई स्वच्छ ऊर्जा; उद्योग, नवाचार एवं अवसंरचना; संवहनीय उपभोग और उत्पादन लक्ष्य हेतु भागीदारी आदि।

कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइजेशन (सीसीयू)

  • कैप्चर/अभिग्रहण : जीवाश्म या बायोमास-इंधन वाले विद्युत स्टेशनों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों या सीधे वायु से CO2 का संग्रह करना।
  • उपयोग :उत्पादों या सेवाओं के निर्माण के लिए संचय की गई CO2 का इनपुट या कच्चे माल के रूप में उपयोग करना।
  • परिवहन: संपीडित CO2 को पोत या पाइपलाइन द्वारा संग्रहण बिंदु से उपयोग या भंडारण बिंदु तक ले जाना।
  • भंडारण :तटवर्ती या अपतटीय भूमिगत भूगर्भीय संरचनाओं में स्थायी रूप से CO2 का भंडारण।

स्रोत द हिंदू

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