मृत्यु दंड (Capital punishment)
हाल ही में उच्चतम न्यायालयने कहा है कि, न्यायाधीशों को भावुक होकर मृत्यु दंड की सजा नहीं देनी चाहिए।
हाल ही में, उच्चतम न्यायालय ने मृत्यु दंड के संबंध में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। यह निर्णय मृत्यु दंड के विरोध में किए जा रहे प्रयासों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल बन सकता है।
- उच्चतम न्यायालय ने कहा कि केवल अपराध की भयानक प्रकृति और समाज पर इसके हानिकारक प्रभाव के कारण सुनवाई करने वाले न्यायाधीशों को मौत की सजा का पक्ष नहीं लेना चाहिए।
- साथ ही, न्यायाधीशों को आजीवन कारावास जैसे दंड के संबंध में भी भावनात्मक रूप से निर्णय नहीं लेना चाहिए।
- न्यायाधीशों ने दंडशास्त्र के सिद्धांतों (principles of penology) के विकास का उल्लेख किया है।
- दंडशास्त्र (penology) के सिद्धांत ‘समाज के अन्य दायित्वों को संतुलित करने के लिए विकसित हुए हैं। उदाहरण के लिए मानव जीवन को तब तक सुरक्षा प्रदान करना (चाहे वह अभियुक्त का ही जीवन क्यों न हो) जब तक कि उसकी समाप्ति अपरिहार्य न हो।
- इसके अतिरिक्त, अन्य सामाजिक हितों और समाज के सामूहिक विवेक की सेवा करने के लिए भी इन सिद्धांतों का विकास किया गया है।
- मृत्यु दंड (Capital punishment) में अपराधी के जीवन को फांसी के माध्यम से समाप्त कर दिया जाता है। मृत्यु दंड एक अत्यधिक गंभीर दंडनीय अपराध के लिए अपराधी की दोषसिद्धि के बाद न्यायालय द्वारा दिया जाता है।
- एमनेस्टी इंटरनेशनल नामक एक मानवाधिकार संगठन के अनुमानों के अनुसार, भारत मृत्युदंड को बरकरार रखने वाले 56 देशों में से एक है। विश्व के 142 देशों ने या तो कानून में या व्यवहार में मृत्युदंड के प्रावधान को समाप्त कर दिया है।
- चीन सबसे अधिक फांसी देने वाला देश बना हुआ है। इसके बाद ईरान, सऊदी अरब, इराक और मिस्र का स्थान है।
मृत्युदंड से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय/प्रावधान
बचन सिंह बनाम पंजाब राज्य, 1980: इस वाद में उच्चतम न्यायालय ने दुर्लभ से भी दुर्लभतम (Rarest of Rare) मामले का सिद्धांत प्रतिपादित किया था। इस सिद्धांत के अनुसार दुर्लभतम मामलों को छोड़कर अन्य मामलों में मृत्युदंड नहीं दिया जाना चाहिए। मृत्युदंड केवल तब दिया जाना चाहिए, जब कोई वैकल्पिक उपाय शेष न रहा हो।
केहर सिंह बनाम भारत संघ, 1989: कार्यपालिका की क्षमादान शक्ति न्यायिक समीक्षा के अधीन है।
भगवान दास बनाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, 2011: ऑनर किलिंग के मामलों में मृत्युदंड पर विचार किया जा सकता है।
विधि आयोग (262वीं रिपोट) की सिफारिश के अनुसार आतंकवाद और युद्ध छेड़ने से संबंधित अपराधों के अलावा अन्य सभी अपराधों के लिए मृत्युदंड को समाप्त कर दिया जाना चाहिए।
स्रोत –द हिन्दू