बिल्ड–ऑपरेट–ट्रांसफर (BOT) मॉडल
हाल ही में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री द्वारा राजमार्ग परियोजनाओं के लिए “बिल्ड–ऑपरेट–ट्रांसफर (BOT )” मॉडल को फिर से अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है ।
इन्होने कहा कि 1,000 करोड़ रुपये से कम लागत वाली सड़क परियोजनाओं के निर्माण का कार्य BOT मॉडल के माध्यम से सौंपा जाना चाहिए ।
BOT मॉडल के तहत, निजी क्षेत्रक के किसी डेवलपर को एक निश्चित अवधि या रियायत अवधि ( 15 से 30 वर्ष) के लिए किसी बुनियादी ढांचा सुविधा / सेवा का निर्माण करने और उसका संचालन करने का अधिकार दिया जाता है।
निर्धारित अवधि की समाप्ति पर उस सुविधा / सेवा को सरकार को हस्तांतरित कर दिया जाता है । वर्ष 2007 और 2014 के बीच, राजमार्गों के निर्माण के लिए केवल BOT मॉडल का ही उपयोग किया जाता था। वर्ष 2018-19 और 2019-20 के दौरान किसी राजमार्ग के निर्माण का कार्य BOT मॉडल पर नहीं सौंपा गया था ।
BOT मॉडल का महत्त्व:
- यह निजी क्षेत्रक की भागीदारी को बढ़ाता है और निजी अभिकर्ताओं के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है ।
- सरकार के राजकोषीय बोझ में कमी आती है।
- कम समय में गुणवत्तापूर्ण कार्य पूर्ण करके परियोजना के कार्यान्वयन को व्यवस्थित करने में मदद मिलती है।
- रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है और लोक सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होता है।
सड़क अवसंरचना में निजी निवेश से संबंधित अन्य मॉडल:
- इंजीनियरिंग, खरीद, निर्माण (EPC) मॉडल : इसके तहत लागत पूरी तरह से सरकार वहन करती है। सरकार निजी कंपनियों से इंजीनियरिंग विशेषज्ञता के लिए बोलियां आमंत्रित करती है।
- बाइब्रिड एन्युटी मॉडल (HAM): HAM एक हाइब्रिड मॉडल है । यह EPC (40 प्रतिशत) और BOT ( 60 प्रतिशत) मॉडल्स का मिश्रण है । इसमें सरकार निजी डेवलपर्स को निर्माण सहायता के रूप में परियोजना लागत का 40 प्रतिशत भुगतान करती है। शेष 60 प्रतिशत की व्यवस्था डेवलपर्स द्वारा स्वयं की जाती है ।
स्रोत – फ़ाइनेसिअल एक्सप्रेस