ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल
हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना के लिये अतिरिक्त दोहरी भूमिका वाली ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने हेतु ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के साथ 1700 करोड़ रुपए के अनुबंध पर हस्ताक्षर किये हैं।
दोहरी भूमिका क्षमता का तात्पर्य भूमि के साथ-साथ जहाज़-रोधी हमलों के लिये ब्रह्मोस मिसाइलों के उपयोग से है। उन्हें स्थल, वायु एवं समुद्र से लॉन्च किया जा सकता है और तीनों वेरिएंट भारतीय सशस्त्र बलों के तहत सेवा में हैं।
समझौते का महत्त्व:
- इन दोहरी भूमिका वाली आधुनिक मिसाइलों के भारतीय नौसेना में शामिल होने से बेड़े की मारक क्षमता और परिचालन गतिविधियों में महत्त्वपूर्ण वृद्धि होगी।
- इस प्रकार की महत्त्वपूर्ण संचार हथियार प्रणाली से स्वदेशी उत्पादन को एक बढ़ावा मिलेगा।
- ब्रह्मोस मिसाइलों से स्वदेशी उद्योग की सक्रिय भागीदारी के साथ गोला-बारूद में भी वृद्धि की उम्मीद है।
ब्रह्मोस मिसाइल:
- भारत-रूस संयुक्त उद्यम, ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किमी. है और यह मैक 8 (ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना) की उच्च गति के साथ विश्व की सबसे तेज़ क्रूज़ मिसाइल है।
- इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है।
- यह दो चरणों वाली (पहले चरण में ठोस प्रणोदक इंजन और दूसरे में तरल रैमजेट) मिसाइल है।
- यह एक मल्टीप्लेटफॉर्म मिसाइल है जिसे स्थल, वायु एवं समुद्र में बहुक्षमता वाली मिसाइल से सटीकता के साथ लॉन्च किया जा सकता है जो खराब मौसम के बावजूद दिन और रात में काम कर सकती है।
- यह “फायर एंड फॉरगेट/दागो और भूल जाओ” सिद्धांत पर काम करती है, यानी लॉन्च के बाद इसे मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं होती।
स्रोत –द हिन्दू