ब्लू ट्रांसफॉर्मेशन रोडमैप 2022-2030
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने ‘ब्लू ट्रांसफॉर्मेशन रोडमैप 2022-2030’ जारी किया है।
इस रोडमैप में जलीय खाद्य प्रणालियों के महत्व को रोजगार, आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरणीय सुधार के वाहक के रूप में पहचाना गया है। ये सभी सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) से संबंधित हैं।
यह रोडमैप मत्स्यपालन समिति (Committee on Fisheries: COFI) के ‘संधारणीय मत्स्यपालन और जलीय कृषि के लिए घोषणा-पत्र 2021’ के अनुरूप ब्लू ट्रांसफॉर्मेशन एक लक्षित प्रयास है।
इसके तहत एजेंसियां, देश और आश्रित समुदाय जलीय (समुद्री व अंतर्देशीय दोनों) खाद्य प्रणालियों के योगदान को अधिकतम करने के लिए मौजूदा एवं नए ज्ञान, साधनों तथा पद्धतियों का उपयोग करते हैं। इससे सभी के लिए खाद्य सुरक्षा, पोषण और किफायती स्वास्थ्यप्रद आहार सुनिश्चित किया जा सकता है।
ब्लू ट्रांसफॉर्मेशन रोडमैप की जरूरत क्यों है?
- यह बढ़ती हई आबादी के लिए पर्याप्त जलीय खाद्य सुनिश्चित कर सकता है। यह जलीय खाद्य पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक रूप से सतत तथा न्यायसंगत है।
- यह सभी के लिए सुरक्षित और पौष्टिक जलीय भोजन की उपलब्धता तथा पहुंच सुनिश्चित करता है।
- यह सुभेद्य समुदायों के अधिकारों और आय में सुधार कर सकता है।
ब्लू ट्रांसफॉर्मेशन की दिशा में भारत की पहले-
- वर्ष 2015-16: नीली क्रांति (Blue revolution) योजना शुरू की गई।
- वर्ष 2018-19: मात्स्यिकी और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (FIDF) आरंभ की गई। साथ ही, मत्स्य पालक किसानों को भी किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा प्रदान की गई।
- वर्ष 2019-20: मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी नाम से एक अलग मंत्रालय बनाया गया।
- वर्ष 2020-21: प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) का शुभारंभ किया गया।
मत्स्यपालन समिति (COFI) के बारे में
यह FAO परिषद की एक सहायक संस्था है। इसकी स्थापना वर्ष 1965 में की गई थी। यह एकमात्र वैश्विक अंतर-सरकारी मंच है, जहां FAO के सदस्य मत्स्य पालन और जलीय कृषि से संबंधित मुद्दों एवं चुनौतियों की समीक्षा तथा उन पर विचार करने के लिए बैठक करते हैं।
स्रोत – द हिन्दू