ग्राम पंचायतों के लिए भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) की योजना पूरी
हाल ही में लगभग 75% ग्राम पंचायतों के लिए भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) की योजना पूरी हुई।
- ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मनरेगा के तहत 69 लाख ग्राम पंचायतों में से 2 लाख ग्राम पंचायतों के लिए भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) योजनाओं को पूर्ण कर लिया है। इस कार्य में मंत्रालय ने रिजटूवैली अप्रोच पर आधारित रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग किया है।
- भौगोलिक भूभाग का मानचित्रण और विश्लेषण करने के लिए GIS एक कंप्यूटर आधारित उपकरण है। यह क्षेत्र के लिए उपयुक्त विकास कार्यों के वैज्ञानिक विकल्प प्रदान करता है।
- यह प्रश्नों (query) और सांख्यिकीय विश्लेषण जैसे सामान्य डेटाबेस संचालन को नक्शों द्वारा प्रस्तुत किए गएविशिष्ट चित्रण और भौगोलिक विश्लेषण के लाभों के साथ एकीकृत करता है।
- मनरेगा के तहत, GIS विकल्प का उपयोग परिसंपत्ति से संबंधित डेटा (जल-संभर अवस्थितियाँ, खेत-तालाब, चेक डैम, सड़क आदि) तथा उनके प्रभाव/परिणाम की बेहतर समझ के लिए किया जाता है।
मनरेगा GIS के तहत कार्य के दायरे में शामिल हैं –
- उपग्रह छवियों और स्कैन की गई छवियों को भू-संदर्मित करना।
GIS मैपिंगः
- विशिष्ट कार्यों के लिए अखिल ग्रामीण भारत हेतु डिजिटल डेटा (एसेट्स) का निर्माण करना।
- छवियों की जियोटैगिंग करना और संबंधित परिसंपत्तियों के साथ एकीकरण करना।
मनरेगा गतिविधियों के ग्राम पंचायत स्तर पर नियोजन को सुविधाजनक बनाने के लिए आरंभ की गई अन्य पहले–
- युक्तधारा भू-स्थानिक योजना पोर्टल अन्य मंत्रालयों को योजनाबद्ध परिसंपत्तियों की मानचित्र पर भौगोलिक अवस्थिति देखने में मदद करता है।
- क्लाइमेट रेजिलिएंस इंफॉर्मेशन सिस्टम एंड प्लानिंग (CRISP-M) नामक साधन स्थानीय समुदायों को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझने में सक्षम बनाएगा।
रिज–टू–वैलीअप्रोच के बारे में
यह वर्षा जल को रोकने, उसकी दिशा बदलने तथा संग्रहण और उपयोग करने पर आधारित दृष्टिकोण है।यह कटक (ridge) से घाटी तक प्रवाहित होने वाले जल के बेहतर प्रबंधन में योगदान करता है। साथ ही, वर्षा जल के संरक्षण को सुनिश्चित करता है। इससे कृषिगत और आर्थिक स्थिरता प्राप्त होती है।
स्रोत –द हिन्दू