बार कौंसिल ऑफ इंडिया (BCI) द्वारा विदेशी कानूनी फर्मों को भारत में प्रवेश की अनुमति
हाल ही में बार कौंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने विदेशी कानूनी फर्मों को भारत में प्रवेश की अनुमति दी है।
BCI ने भारत में विदेशी वकीलों और विदेशी लॉ फर्मों के पंजीकरण तथा विनियमन के लिए नियम, 2022 अधिसूचित किए हैं।
अधिसूचित नियमों की मुख्य विशेषताएं
- विदेशी वकीलों और कानूनी फर्मों को निम्नलिखित की अनुमति दी गई है-
- उन्हें भारत में प्रैक्टिस करने के लिए BCI में पंजीकरण कराना होगा।
- उन्हें गैर-मुकदमों से जुड़े मामलों में प्रैक्टिस की अनुमति होगी। ऐसे मामलों को विधि और न्याय मंत्रालय के परामर्श से BCI निर्धारित करेगा ।
- वे अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता सहित अंतर्राष्ट्रीय कानूनी मुद्दों पर भारतीय पक्षकारों को सलाह दे सकते हैं।
- हालांकि, उन्हें किसी भी अदालत, अधिकरण या किसी अन्य विनियामक प्राधिकरण के सामने पेश होने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
नए कदम का महत्त्व
- लॉ फर्मों सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं के संपर्क में आने से लाभान्वित होंगी ।
- इससे विदेशी फर्मों और निवेशकों को कुछ हद तक न्यायिक सहजता प्राप्त होगी।
- इससे FDI आकर्षित करने और भारत को अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता का केंद्र बनाने में मदद मिलेगी।
BCI के बारे में
- संसद ने BCI की स्थापना अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत की थी।
- इसे स्थापित करने का उद्देश्य भारतीय विधिज्ञ (Indian bar) को विनियमित करना और इसे प्रतिनिधित्व प्रदान करना था ।
BCI के वैधानिक कार्यों में शामिल हैं:
- अधिवक्ताओं के लिए पेशेवर आचरण और शिष्टाचार के मानकों का निर्धारण करना ।
- अधिवक्ताओं के अधिकारों, विशेषाधिकारों और हितों की रक्षा करना ।
- ऐसे विश्वविद्यालयों को मान्यता प्रदान करना, जिनसे कानून विषय में प्राप्त डिग्री एक वकील के रूप में नामांकित / पंजीकृत होने के लिए योग्यता मानी जाएगी।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस