बैंकिंग क्षेत्र की मजबूती के लिए बैड बैंक
कोविड महामारी के परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में संकुचन के बीच गैर निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) की बढ़ती समस्या को हल करने हेतु भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर ने बैड बैंक के निर्माण के प्रस्ताव को सहमती दे दी है।
पृष्ठभूमि:
- महामारी के दौरान, गैर निष्पादित परिसंपत्ति (नॉन-परफॉर्मिंगएसेट्स) बढ़ने की उम्मीद थी। इसलिए भारतीय बैंकों ने अपनी बैलेंस शीट को राईट ऑफ कर दिया । राइट-ऑफ से आशय, लेखांकन में किसी परिसंपत्ति के मान्यता प्राप्त मूल्य में कमी करने से है।
- बजट 2021 में, सरकार ने बैंको को NPA से उबारने हेतु बैड बैंक बनाने की घोषणा की है । जिसको डेवलपमेंट फाइनेंस इन्स्टिट्यूश्न् के नाम से जाना जायेगा.
बैड बैंक और इसकी कार्यप्रणाली:
- एक बैड बैंक एक परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी (ARC) या एक परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी है, जो वाणिज्यिक बैंकों के बुरे ऋणों को अपने नियंत्रण में लेती है, उनका प्रबंधन करती है और अंत में, समय के साथ धन की वसूली करती है।
- स्पष्ट है कि बैड बैंक के पास खराब परिसंपत्ति होती है।
- बैड बैंक ऋण देने और जमा लेने का कार्य नहीं करता, अपितु वाणिज्यिक बैंकों को, अपनी बैलेंस शीट को साफ करने और खराब ऋणों के निपटान में मदद करता है।
- अमेरिकी मेलन बैंक ने 1988में पहला बैड बैंक बनाया, जिसके बाद यह अवधारणा स्वीडन, फिनलैंड, फ्रांस और जर्मनी सहित अन्य देशों में लागू की गई है।
भारत के लिए बैड बैंक की आवश्यकता:
- बढ़ता गैर निष्पादित परिसंपत्ति: RBI ने अपने हालिया FSR में उल्लेख किया है कि बैंकिंग क्षेत्र के सकल एनपीए सितंबर 2021 तक सितंबर 2020 में 7.5% से बढ़कर 13.5% तक बढ़ने की उम्मीद है।
- अर्थव्यवस्था में सुधार: महामारी की मार के कारण , RBI ने खराब ऋणों में वृद्धि की आशंका जताई है।
- अंतर्राष्ट्रीय उदाहरण / मिसाल:दुनिया के कई अन्य देशों ने वित्तीय प्रणाली में तनाव की समस्या से निपटने के लिए संस्थागत तंत्र स्थापित किया था।
बजट में घोषणाएँ:
- परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी (ARC) या परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी संरचना के तहत एक बैड बैंक बनाया जाएगा।
- राष्ट्रीय परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी (NARC) उधारदाताओं से कुल तनाव ग्रस्त परिसंपत्ति का अधिग्रहण करेगी। राष्ट्रीय परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी (NAMC) अधिग्रहित संपत्ति के लिए एक प्रबंधक के रूप में कार्य करेगी।
गैर-निष्पादनकारीपरिसंपत्तियां (NPA):
- गैर-निष्पादनकारीपरिसंपत्तियों से अभिप्राय ऐसे ऋण से है, जिसकी प्राप्ति संदिग्ध हो।
- जब ऋण लेने वाला व्यक्ति 90 दिनों तक ब्याज या मूलधन का भुगतान करने में विफल रहता है तो उसको दिया गया ऋण गैर- निष्पादित परिसंपत्ति (नॉन– परफॉर्मिंगअसेट) मान लिया जाता है।
- समय-अवधि के आधार पर इसे तीन वर्गों में बाटा गया है।
1.उप-मानक संपत्ति: -परिसंपत्तियां जो 12 महीने या उससे कम अवधि के लिए एनपीए के रूप में रहती हैं। 2.डाउटफफुलसंपत्ति:- यदि कोई परिसंपत्ति 12 महीने के लिए उप-मानक श्रेणी में रहती है।3.लॉसएसेट्स:- यह एक गैर-वसूली योग्य और बेहद कम मूल्य की संपत्ति है। संपत्ति के रूप में इसके अस्तित्वकीबैंक द्वारा पुष्टि नहीं की जाती है।
स्त्रोत: इंडियन एक्सप्रेस