बच्चों की ऑनलाइन खतरों से सुरक्षा पर दिशा निर्देश
हाल ही में, ‘चाइल्ड राइट्स एंड यू’ नामक एक गैर-लाभकारी संगठन ने ‘ऑनलाइन सेफ्टी एंड इंटरनेट एडिक्शन’ पर एक अध्ययन किया है।
इस अध्ययन के तहत बच्चों की ‘ऑनलाइन खतरों’ से सुरक्षा पर किये गए एक अध्ययन के निष्कर्ष जारी किए गए हैं।
इसमें रेखांकित किया गया है कि बड़ी संख्या में 13 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के किशोरों की इंटरनेट के प्रति लत देखी गयी है।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष
- जिन लोगों पर अध्ययन किया गया था उनमें से 48 प्रतिशत ने इंटरनेट के प्रति किसी न किसी स्तर तक की लत होना स्वीकार किया है। इन लोगों में से लगभग 10 प्रतिशत ने बताया कि वे साइबर बुलिंग से पीड़ित हुए हैं।
- शिक्षा और अन्य संचार उद्देश्यों के लिए इंटरनेट पर अधिक समय बिताने वाले बच्चे कई प्रकार के जोखिमों के प्रति अधिक सुभेद्य हो जाते हैं। इन जोखिमों में विशेष रूप से ऑनलाइन लैंगिक शोषण, ऑनलाइन उत्पीड़न और साइबर-शोषण तथा निजता से जुड़े कई अन्य खतरे शामिल हैं।
अध्ययन में की गयी सिफारिशें:
- इंटरनेट के इस्तेमाल के दौरान बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें जागरूक एवं उनकी क्षमता का निर्माण किया जाना चाहिए।
- इंटरनेट सुरक्षा नियमों को पाठ्यक्रम से जोड़ा जाना चाहिए।
- इसमें बच्चों के माता-पिता और उनकी देखभाल करने वालों की सक्रिय भागीदारी होनी चाहिए। पुलिसिंग के बिना प्रभावी निगरानी होनी चाहिए।
- मौजूदा साइबर कानूनों की समीक्षा की जानी चाहिए। साथ ही, उन्हें बाल केंद्रित बनाने के लिए उनमें संशोधन भी किया जाना चाहिए।
- बच्चों की निजता और उनकी डिजिटल गतिविधियों की रक्षा की जानी चाहिए।
- इससे पहले, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने डिजिटल और वीडियो गेमिंग की लत को मानसिक स्वास्थ्य विकार के रूप में वर्गीकृत किया था।
स्रोत –द हिन्दू