कार्बन डेटिंग के अनुसार ‘असुरगढ़’ ओडिशा की सबसे पुरानी किलेबंद बस्ती
हाल ही के उत्खननों के आधार पर यह राज्य की प्रमुख किलेबंद बस्तियों में सबसे पुरानी मानी गई है। असुरगढ़ किलेबंद बस्ती ओडिशा के कालाहांडी जिले में नौवीं शताब्दी ईसा पूर्व की बस्ती है।
पुरातत्वविदों ने इसकी तिथि निर्धारित करने के लिए एक्सेलेरेटर मास स्पेक्ट्रोमेट्री (AMS) रेडियो कार्बन तकनीक का उपयोग किया था। यह तकनीक परमाणु भार (द्रव्यमान) में अंतर के आधार पर अलग-अलग प्रकार के परमाणुओं में विमेद करती है।
हालिया शोध के निष्कर्षः
इस स्थल के सांस्कृतिक विकास क्रम को निम्नलिखित तीन चरणों में विभाजित किया जा सकता है:
- लौह युगः नौवीं शताब्दी ईसा पूर्व से चौथी शताब्दी ईसा पूर्व तक,
- प्रारंभिक ऐतिहासिक या प्राचीर चरण: दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से पहली शताब्दी ईस्वी तक, तथा
- उत्तरवर्ती चरण /बसावट का पतनः दूसरी शताब्दी ईस्वी से तीसरी-चौथी शताब्दी ईस्वी तक।
इस स्थल से प्राप्त पुरावशेषों में शामिल हैं: मूंगा, लाजवर्द, कार्नेलियन, कांच, जैस्पर, गार्नेट, सीप, सुलेमानी पत्थर (एगेट), दूधिया क्वार्ट्ज, टेराकोटा, चीनी मिट्टी और सेलखड़ी निर्मित मनके तथा ठीकरों एवं पत्थरों से बने गोलाकार डिस्क।
यह ओडिशा में एकमात्र ऐसा स्थल है, जो अपने समकालीन स्थलों की तुलना में जल प्रबंधन की अत्यधिक कुशल अभियांत्रिकी को दर्शाता है।
ओडिशा के अन्य प्राचीन ऐतिहासिक स्थल:
- शिशुपालगढ़ः भुवनेश्वर के निकट,
- जौगढ़ः रुशिकुल्या घाटी (गंजम जिला) में एक किलेबंद बस्ती,
- खलकटपटनाः पुरी,माणिकपटना बंदरगाह स्थल (पुरी) आदि।
स्रोत – द हिंदू