क्रिप्टो विज्ञापनों में किये गए दावों की मशहूर हस्तियों को उचित पड़ताल करनी चाहिए।
- हाल ही में भारतीय विज्ञापन मानक परिषद(ASCI) ने कहा है कि, क्रिप्टो विज्ञापनों में किये गए दावों की मशहूर हस्तियों को उचित पड़ताल करनी चाहिए।
- हाल ही में भारतीय प्रतिभूति और विनियामक बोर्ड (SEBI) ने सार्वजनिक जीवन में मशहूर हस्तियों से वर्चुअल डिजिटल एसेट (VDA) का समर्थन नहीं करने का सुझाव दिया था।
- इसी के बाद ASCI ने मशहूर हस्तियों से क्रिप्टो विज्ञापनों की उचित पड़ताल करने के अपने परामर्श को दोहराया है।
- VDA को क्रिप्टोग्राफिक माध्यमों या अन्य माध्यमों से उत्पन्न ऐसी किसी भी जानकारी या कोड या संख्या या टोकन के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसे इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्थानांतरित, संग्रहीत या उसका व्यापार किया जा सकता है।
- इसमें नॉन-फंजीबल टोकन (NFTs), क्रिप्टो और अन्य वर्चुअल परिसंपत्तियां शामिल हैं।
VDA से संबंधित विज्ञापन का विनियमन–
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत भ्रामक विज्ञापनों का प्रचार करने वालों के लिए दंड का प्रावधान किया गया है। साथ ही, यदि उन्होंने विज्ञापन के बारे में पूर्व में पड़ताल नहीं की है, तो भी यह दंडनीय है।
- ASCI ने फरवरी 2022 में क्रिप्टो और नॉन-फंजीबल टोकन के प्रचार एवं विज्ञापन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे।
- सभी VDA उत्पादों और सेवाओं में क्रिप्टो उत्पादों तथा NFIS के संबंध में डिस्क्लेमर को अनिवार्य किया गया है।
ASCI के बारे में
- भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) एक स्वैच्छिक स्व-विनियामक संगठन है। इसकी स्थापना वर्ष 1985 में की गई थी। इसका उद्देश्य विज्ञापन में स्व-विनियमन के माध्यम से भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है।
- यह कानूनी रूप से गैर-बाध्यकारी विज्ञापन संहिता और दिशा-निर्देश जारी करता है।
- किसी सेलिब्रिटी (मशहूर हस्ती)/विज्ञापन कंपनी द्वारा उल्लंघन के मामले में, ASCI उनके मामलों को,प्रकाशित कर सकता है या ऐसे मामलों को संबंधित सरकारी विनियामक के पास भी भेज सकता है।
- केबल टेलीविजन नेटवर्क (संशोधन) नियम, 2006 केबल सेवाओं द्वारा किए जाने वाले सभी विज्ञापनों के लिए ASCI संहिता के अनुरूप होना अनिवार्य बनाता है।
वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) से संबंधित चिंताएं–
VDAs अत्यधिक जोखिम भरी परिसंपत्ति हैं। ये व्यापक रूप से अविनियमित रहती हैं। इससे लेनदेन में कोई भी नुकसान होने पर विनियामक से किसी भी प्रकार की कोई मदद नहीं मिलती है।
इनसे संबंधित कुछ अन्य चिंताएं इस प्रकार हैं:
- ये वित्तीय प्रणाली को अस्थिर कर सकती हैं ।
- देश के संप्रभु हितों के खिलाफ है,ये RBI की मौद्रिक नीति के प्रभाव को कम कर सकती हैं, और भारतीय अर्थव्यवस्था के एक हिस्से के डॉलरकरण की आशंका है।
- डॉलरकरण का अर्थ देश की घरेलू मुद्रा के अलावा या उसके स्थान पर अमेरिकी डॉलर का उपयोग करना है।
- इन चिंताओं के बावजूद, VDA लोगों को आकर्षित करने में सफल रहा है। इसकी वजह है युवा उपभोक्ताओं को लक्षित करने वाले सेलिब्रिटी विज्ञापनों में वृद्धि, जिनमें कोई डिस्क्लोजर भी नहीं होता है।
स्रोत –द हिन्दू