सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम ( AFSPA )
हाल ही में असम ने केंद्र सरकार से सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम ( AFSPA ), 1958 और अशांत क्षेत्र अधिनियम को वापस लेने का अनुरोध किया है।
AFSPA सशस्त्र बलों को “अशांत क्षेत्रों में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष अधिकार प्रदान करता है ।
सशस्त्र बल ऐसे अशांत क्षेत्रों में कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति पर गोली तक चला सकते हैं। वे बिना वारंट के व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकते हैं और किसी परिसर की तलाशी ले सकते हैं ।
अधिनियम के मुख्य पहलू:
अशांत क्षेत्रः जब किसी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के क्षेत्र या पूरे राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है कि नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का उपयोग आवश्यक हो जाता है, तब उस राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के क्षेत्र या पूरे राज्य/केंद्र शासित प्रदेश को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित किया जाता है। किसी क्षेत्र को ‘अशांत क्षेत्र’ राज्य के राज्यपाल / केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक या केंद्र सरकार द्वारा घोषित किया जाता है ।
सशस्त्र बल कर्मियों को उन्मुक्ति: केंद्र सरकार की पूर्व मंजूरी के बिना उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही नहीं की जा सकती है। वर्ष 2016 में, सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक निर्णय में कहा था कि सशस्त्र बलों को अशांत क्षेत्रों में भी अपने कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान की गई ज्यादतियों की जांच से छूट नहीं दी जा सकती है।
गिरफ्तार व्यक्ति के साथ व्यवहार: सैन्य अधिकारी गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को बिना किसी विलंब के निकटतम पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को सौंपने के लिए बाध्य है।
लागू होना: असम, मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्से ।
चिंताएं: शक्तियों का दुरुपयोग, मानवाधिकारों का उल्लंघन आदि।
असम अशांत क्षेत्र अधिनियम के तहत राज्य सरकार किसी शहर या कस्बे के किसी विशेष क्षेत्र को अशांत क्षेत्र के रूप में अधिसूचित कर सकती है।
स्रोत – हिन्दुस्तान टाइम्स