उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति
हाल ही में भारत के उच्चतम न्यायालय में दो वर्ष से अधिक समय के बाद न्यायाधीशों के सभी स्वीकृत 34 पदों पर नियुक्तियां कर दी जाएंगी। जिससे उच्चतम न्यायालय 34 न्यायाधीशों की पूर्ण क्षमता के साथ कार्य करेगा ।
विदित हो कि वर्तमान समय में शीर्ष न्यायालय में 34 न्यायाधीशों के कुल स्वीकृत पदों के विपरीत, 32 न्यायाधीश सेवारत हैं।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 124(1) के अनुसार, संसद कानून द्वारा उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या निर्धारित कर सकती है।
न्यायाधीशों की नियुक्तिः
- भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) और उच्चतम न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 124(2) के तहत राष्ट्रपति द्वारा कॉलेजियम प्रणाली की मदद से की जाती है।
- कॉलेजियम प्रणाली तीन न्यायाधीशों के मामले (थ्री जजेज केस) के साथ विकसित हुई है।
- प्रथम न्यायाधीश मामला (फर्स्ट जजेज केस), 1981 या एसपी गुप्ता मामलाः उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि राष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा की गई सिफारिश को ‘ठोस कारणों के आधार पर अस्वीकार कर सकता है। इस तरह इस मामले में कार्यपालिका को अधिक अधिकार प्राप्त हुए।
- द्वितीय न्यायाधीश मामला (सेकंड जजेज केस), 1993 सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCARA) बनाम भारत संघ वाद: भारत के मुख्य न्यायाधीश को न्यायिक नियुक्तियों और स्थानांतरणों पर केवल दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों से परामर्श करने की आवश्यकता है।
- तृतीय न्यायाधीश मामला (थर्ड जजेज केस), 1998: भारत के मुख्य न्यायाधीश को न्यायिक नियुक्तियों और स्थानांतरणों पर अपनी राय बनाने के लिए उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों से परामर्श करना चाहिए।
कॉलेजियम
- कॉलेजियम एक ऐसी प्रणाली है, जहां एक समिति उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण से संबंधित निर्णय लेती हैं।
- इस समिति में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीश और उच्च न्यायालय के तीन सदस्य (यदि उच्च न्यायालयों में नियुक्ति होनी है) शामिल होते हैं।
स्रोत –द हिन्दू