जेल सुधारों पर गठित की गई ‘न्यायमूर्ति अमिताव रॉय समिति’ की रिपोर्ट  

जेल सुधारों पर गठित की गई ‘न्यायमूर्ति अमिताव रॉय समिति’ की रिपोर्ट  

हाल ही में जेल सुधारों पर गठित की गई ‘न्यायमूर्ति अमिताव रॉय समिति’ ने अपनी रिपोर्ट सरकार को  सौंप दी है । सुप्रीम कोर्ट ने समिति की रिपोर्ट पर केंद्र और राज्यों से अपने विचार साझा करने को कहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में महिला कैदियों को कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। रिपोर्ट भारतीय जेलों में महिलाओं के लिए उपचार और सुविधाओं में महत्वपूर्ण सुधार की आवश्यकता पर जोर देती है, और उनके सामने आने वाली लिंग-विशिष्ट चुनौतियों पर ध्यान आकर्षित करती है।

समिति की मुख्य टिप्पणियां:

  • सुधारात्मक न्याय प्रणाली में “स्पष्ट रूप से महिला कैदियों के सुधार या पुनर्वास पर अलग से ध्यान नहीं दिया जाता है।”
  • केवल 18% महिला कैदियों को ही महिला विशिष्ट-जेल सुविधाएं प्रदान की गई हैं। विदित हो कि वर्ष 2014 से 2019 के बीच महिला कैदियों की आबादी में 11% से अधिक की वृद्धि हुई है।
  • महिला कैदियों की सभी श्रेणियों (विचाराधीन और सजायाफ्ता) को एक ही वार्ड में रखा जाता है।
  • चिकित्सा देखभाल, कानूनी सहायता, सवेतन श्रम और मनोरंजक गतिविधियों जैसी बुनियादी सुविधाओं तक पहुँचने में महिला कैदियों को पुरुषों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
  • केवल गोवा, दिल्ली और पुडुचेरी की जेलें ही महिला कैदियों को अपने बच्चों से बिना किसी सलाखों या कांच के अलगाव के मिलने की अनुमति देती हैं।
  • भारत की 40% से भी कम जेलें महिला कैदियों के लिए सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराती हैं। जेलों में लगभग 75% महिला वार्डों को पुरुष वार्डों के साथ रसोई और सामान्य सुविधाएं साझा करनी पड़ती हैं।
  • महिला कैदियों की तलाशी कैसे ली जाए, इस पर लिंग-विशिष्ट प्रशिक्षण का अभाव ।
  • केवल 10 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में महिला कैदी जेल कर्मचारियों के खिलाफ दुर्व्यवहार या उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कर सकती हैं ।
  • महिला कैदियों के लिए अलग चिकित्सा और मनोरोग वार्डों का अभाव । जेलों में शिशु प्रसव के लिए अपर्याप्त “बुनियादी न्यूनतम सुविधाएं “।
  • महिला कैदियों की लिंग-विशिष्ट स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की कमी ।

समिति द्वारा की गई सिफारिशें:

  • टेलीमेडिसिन परामर्श की सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए,
  • व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए,
  • जेल कर्मचारियों को महिला कैदियों के प्रति संवेदनशील रहने का प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए,
  • मनोदैहिक विकारों या यौन शोषण की पीड़ित महिला कैदियों की काउंसलिंग आदि की सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए।

स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस 

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