चलचित्र अधिनियम (Cinematograph Act), 1952 में संशोधन
हाल ही में सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने चलचित्र अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों पर फिल्म उद्योग के साथ परामर्श किया है ।
चलचित्र अधिनियम 1952 (Cinematograph Act) में फिल्मों के प्रदर्शन के लिए प्रमाणन (certification) और सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए फिल्मों के विनियमन के संबंध में प्रावधान किया गया है।
इसके तहत, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (Central Board of Film Certification: CBFC) का गठन किया गया। यह सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत एक सांविधिक निकाय है। यह फिल्मों के सार्वजनिक प्रदर्शन को विनियमित (रेगुलेट) करता है।
चलचित्र (संशोधन) विधेयक, 2021 के प्रमुख प्रावधानः –
- किसी फिल्म को जारी किए गए प्रमाणन पर पुनर्विचार करने हेतु CBFC को निर्देश देने का सरकार को अधिकार दिया गया है।
- U/A श्रेणी को U/A7+, U/A 13+, और U/A 16+ में उप-विभाजित किया गया है। दंडात्मक प्रावधानों को लागू करके पायरेसी को रोकने के लिए धारा 6AA को जोड़ा गया है।
इस विधेयक के विरोध में उठाए गए मुद्देः
- केंद्र सरकार के पास उन फिल्मों के प्रमाणन को रद्द करने या वापस लेने का अधिकार होगा, जिन्हें CBFC द्वारा पहले ही मंजूरी दे दी गई है।
- यह फिल्म प्रमाणन पर मुद्गल समिति (वर्ष 2013) और श्याम बेनेगल समिति (वर्ष 2016) की सिफारिशों के विरुद्ध है।
- फिल्म जगत का मानना है कि इसके कुछ प्रावधान स्वतंत्र अभिव्यक्ति और विमर्श में बाधा बनकर रचनात्मकता को दबाते हैं।
सुझावः
- स्व-विनियमन को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए,
- राज्य की सेंसरिंग शक्ति संबंधी सीमा को सीमित किया जाना चाहिए,
- आपत्तिजनक सामग्री से संबंधित कंटेंट के लिए, प्रदर्शन से पहले चेतावनियों के उपयोग को बढ़ाया जाना चाहिए, आदि।
स्रोत –द हिन्दू