एलायंस फॉर इंडस्ट्री डीकार्बोनाइजेशन

एलायंस फॉर इंडस्ट्री डीकार्बोनाइजेशन

अतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी (IRENA) और उद्योग जगत ने ‘एलायंस फॉर इंडस्ट्री डीकार्बोनाइजेशन’ लॉन्च किया है।

अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी (IRENA), इसके सह-संस्थापक साझेदार सीमेंस एनर्जी और टाटा स्टील व जिंदल स्टील वर्क्स सहित 13 कंपनियों ने ‘ग्लोबल एलायंस फॉर इंडस्ट्री डीकार्बोनाइजेशन’ लॉन्च किया है।

The alliance for industry decarbonization

इस नए गठबंधन का उद्देश्य शुद्ध-शून्य उत्सर्जन महत्वाकांक्षाओं और औद्योगिक मूल्य श्रृंखलाओं के विकार्बनीकरण (Decarbonization) में तेजी लाना है।

यह पेरिस समझौते के जलवायु संबंधी लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में एक कदम है।

यह सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के सभी औद्योगिक हितधारकों के मध्य होने वाले संवाद को मजबूत करेगा। साथ ही, उनके द्वारा की जाने वाली कार्रवाइयों का समन्वय करेगा।

इस गठबंधन का गठन बाली घोषणा-पत्र के तहत किया गया है। इसकी पहली बैठक नवंबर 2022 में मिस्र के शर्म अल शेख में COP27 के दौरान आयोजित करने की योजना बनाई गई है।

विकार्बनीकरण वास्तव में मानव गतिविधियों की वजह से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के उत्सर्जन को कम करने की प्रक्रिया है।

यह वैश्विक तापवृद्धि को सीमित करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

विकार्बनीकरण के निम्नलिखित परिणाम होंगे:

  • वैकल्पिक ईंधन, विद्युतीकरण, नवीकरणीय ऊर्जा आदि जैसे निम्न कार्बन उत्सर्जन वाले ऊर्जा संसाधनों को बढ़ावा मिलेगा।
  • जीवन चक्र आकलन, संधारणीय खरीद प्रथाओं आदि के साथ आपूर्ति श्रृंखला में निष्पक्षता सुनिश्चित हो सकेगी।
  • कार्बन ऑफसेट परियोजनाओं की मदद से उत्सर्जन संतुलन स्थापित किया जा सकेगा।

विकार्बनीकरण की दिशा में भारत द्वारा उठाए गए कदम-

  • सीमेंट, लोहा और इस्पात तथा रसायन उद्योगों में ऊर्जा के उपयोग को कम करने के लिए परफॉर्म, अचीव एंड ट्रेड (PAT) योजना चलाई जा रही है ।
  • भारत में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय सौर मिशन चलाया जा रहा है ।

उद्योग का विकार्बनीकरण करने के लिए प्राथमिकता वाले समाधान-

  • लागत और उत्सर्जन को कम करने के लिए ऊर्जा दक्षता बढ़ाना।
  • लक्ष्य निर्धारित करके, उपयोग की निगरानी, तकनीक की रेट्रोफिटिंग और अनुसंधान, डिजाइन, विकास एवं प्रदर्शन (RDD&D) को बढ़ाकर ऊर्जा दक्षता में सुधार करना।
  • जीवाश्म ईंधन को निम्न और शून्य उत्सर्जन वाले ऊर्जा स्रोतों से बदलना।
  • निम्न और मध्यम तापमान प्रक्रियाओं के लिए विद्युतीकरण। उच्च तापमान प्रक्रियाओं के लिए स्वच्छ हाइड्रोजन।
  • उत्सर्जन को कम करने के लिए कार्बन कैप्चर और स्टोरेज तकनीक स्थापित करना।
  • स्रोत बिंदु उत्सर्जन (ईंधन दहन और औद्योगिक प्रक्रिया उत्सर्जन) के लिए कार्बन कैप्चर, उपयोग तथा भंडारण।

स्रोत – द हिन्दू

Download Our App

More Current Affairs

Share with Your Friends

Join Our Whatsapp Group For Daily, Weekly, Monthly Current Affairs Compilations

Related Articles

Youth Destination Facilities

Enroll Now For UPSC Course