घरेलू कामगारों के बारे में पहला अखिल भारतीय सर्वेक्षण
हाल ही में केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री ने घरेलू कामगारों (AISDWs) पर प्रथम अखिल भारतीय सर्वेक्षण का शुभारंभ किया।
इस सर्वेक्षण का उद्देश्य राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर घरेलू कामगारों की संख्या तथा अनुपात, लिव-इन/लिव-आउट, औपचारिक/अनौपचारिक रोजगार एवं अन्य सामाजिक-आर्थिक विशेषताओं के आधार पर घरेलू कामगारों के प्रतिशत वितरण का आकलन करना है। यह डेटा अंतराल को भी शामिल करेगा औरसाक्ष्य-आधारित नीति निर्माण प्रक्रियाओं में भीसहायता करेगा।
AISDWs श्रम ब्यूरो द्वारा किए जा रहे 5 अखिल भारतीय सर्वेक्षणों का हिस्सा है।
वर्तमान में जारी अन्य चार अखिल भारतीय सर्वेक्षण, निम्नलिखित से संबंधित हैं:
- प्रवासी मजदूर,
- परिवहन क्षेत्र में सृजित रोजगार,
- पेशेवरों द्वारा उत्पन्न रोजगार और
- अखिल भारतीय त्रैमासिक प्रतिष्ठान आधारित रोजगारसर्वेक्षण (ADEES)
AISDWs की आवश्यकताः
- घरेलू कामगार कृषि और निर्माण के बाद श्रमिकों की तीसरी सबसे बड़ी श्रेणी है। तीव्र शहरीकरण से श्रमिकों का पलायन होगा और घरेलू कामगारों की संख्या में वृद्धि होगी।
- कोविड-19 ने घरेलू कामगारों को हाशिये पर धकेल दिया है।
घरेलू कामगारों के सामने आने वाली समस्याएं:
- भारत में घरेलू कामगारों को उनके नियोक्ताओं द्वारा कम भुगतान, अधिक कार्य करवाने और दुर्व्यवहार किए जाने कीव्यापक रिपोर्ट्स दर्ज की गई हैं।
- विस्तृत व एकरूपता से लागू किए गए राष्ट्रीय कानून का अभाव है, जो घरेलू कामगारों के लिए रोजगार की उचित शों और कार्य करने की बेहतर स्थिति की गारंटी देता हो।
स्रोत –पीआईबी