चरम मौसम की घटनाओं का सर्वाधिक प्रभाव कृषि क्षेत्र पर पड़ा
हाल के वर्षों में फसलों को हुए नुकसान और क्षति पर सरकार के आंकड़ों से निम्नलिखित जानकारियां प्राप्त होती हैं:
- वर्ष 2016 से भारी वर्षा और बाढ़ सहित जल-मौसम विज्ञान (hydro-meteorological) संबंधी आपदाओं के कारण 36 मिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि प्रभावित हुई है।
- किसानों को 29,939 करोड़ रुपये की हानि हुई है।
- जलवायु परिवर्तन और आपदाएं कृषि को कैसे प्रभावित करती हैं?
उपज में गिरावटः
अधिक भीषण गर्मी, बाढ़ और सूखे से उपज में गिरावट होती है। खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, आपदाओं के कारण विश्व में पहले से ही संभावित फसल और पशुधन उत्पादन की 4 प्रतिशत तक की हानि हो चुकी है।
मात्स्यिकी पर प्रभावः जल के तापमान में परिवर्तन, जल को आक्रामक प्रजातियों के लिए अनुकूल बना देता है। इससे मछली की कुछ प्रजातियों के विचरण क्षेत्र या जीवन अवधि में बदलाव आ जाता है।
पशुधन पर प्रभावः
- यह पशुधन के समक्ष दोहरा संकट पैदा करता है। प्रत्यक्ष प्रभाव के तहत उन्हें अधिक गर्मी का सामना करना पड़ता है और अप्रत्यक्ष प्रभाव के अंतर्गत उनकी खाद्य आपूर्ति की गुणवत्ता में गिरावट आती है।
- फसल हानि के कारण मुद्रास्फीतिः एशियाई विकास बैंक के अनुसार, खाद्य मुद्रास्फीति में 1% की वृद्धिसे शिशु और बाल मृत्यु दर में 3% तथा अल्पपोषण में 0.5% की बढ़ोतरी होती है।
सरकार द्वारा किए गए उपाय
- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने राष्ट्रीय मानसून मिशन (NMI) आरम्भ किया है। इसका उद्देश्य विभिन्न कालक्रम में मानसूनी वर्षा के लिए एक अत्याधुनिक गतिशील पूर्वानुमान प्रणाली विकसित करना है।
- मौसम प्रणालियों पर डेटा के विश्लेषण, परिष्कृत पूर्वानुमान प्रतिरूपण (मॉडलिंग) आदि के लिए हाई-परफॉरमेंस कंप्यूटिंग सुविधा केंद्र स्थापित किये गए हैं।
स्रोत –द हिन्दू