आदित्य L-1 मिशन (Aditya L1 Mission)
आदित्य L-1 मिशन (Aditya L1 Mission) को वर्ष 2021 के अंत तक लॉन्च करेगा । इस मिशन को 2020 में ही लंच किया जाना था किन्तु कोविड -19 महामारी के कारण नहीं हो सका ।
यह मिशन सूर्य का नज़दीक से निरीक्षण करते हुए इसके वातावरण तथा चुंबकीय क्षेत्र के विषय में अध्ययन करेगा।
मुख्य बिंदु
- आदित्य-एल1 का उद्देश्य ‘सन-अर्थ लैग्रैनियनप्वाइंट1’ (L 1) की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है।
- ध्यातव्य है कि आदित्य-1 देश का पहला सौर कॅरोनोग्राफ उपग्रह होगा, जो सौर कॅरोना के अत्यधिक गर्म होने व सौर-हवाओं की गति बढ़ने तथा कॅरोनल मास इंजेक्शंस (सीएमईएस) से जुड़ी भौतिक प्रक्रियाओं को समझने में मदद करेगा।
- यह उपग्रह, सौर लपटों के कारण धरती के मौसम पर पड़ने वाले प्रभावों और इलेक्ट्रॉनिक संचार में पड़ने वाली बाधाओं का भी अध्ययन करेगा।
आदित्य एल-1 मिशन क्या है
- ISRO द्वारा आदित्य L-1 को 400 किलो-वर्ग के उपग्रह के रूप में वर्गीकृत किया है जिसे ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान- XL (PSLV- XL) से लॉन्च किया जाएगा।
- इस मिशन के अंतर्गत अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला में सूर्य के कोरोना, सौर उत्सर्जन, सौर हवाओं और फ्लेयर्स तथा कोरोनल मास इजेक्शन (Coronal Mass Ejections- CME) का अध्ययन करने के लिये बोर्ड पर 7 पेलोड (उपकरण) होंगे।
- आदित्य एल- 1 को सूर्य एवं पृथ्वी के बीच स्थित एल-1 लग्रांज/लेग्रांजी बिंदु के निकट स्थापित किया जाएगा।
- आदित्य-1 को मात्र सौर प्रभामंडल के प्रेक्षण हेतु बनाया गया था।
सूर्य का प्रभामंडल
- सूर्य की बाहरी परतों, जोकिडिस्क (फोटोस्फियर) के ऊपर हजारों कि.मी. तक फैला भाग प्रभामंडल कहलाताहै इसका तापमान मिलियन डिग्री केल्विन से भी ज्यादा है जोकि करीबन 6000केल्विन के सौर डिस्क तापमान से भी बहुत अधिक है। सौर भौतिकी में अब तक इस प्रश्न का उत्तर नहीं मिल पाया है कि किस प्रकार प्रभामंडल का तापमान इतना अधिक होता है।
क्या होता हैं लग्रांज/लेग्रांजी बिंदु (Lagrangian point)?
- सूर्य के केंद्र से पृथ्वी के केंद्र तक एक सरल रेखा खींचने पर जहां सूर्य और पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण बल बराबर होते हैं, वह लग्रांज बिंदु कहलाता है।
- लग्रांज बिंदु पर सूर्य और पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण बल समान रूप से लगने से दोनों का प्रभाव बराबर हो जाता है।इस स्थिति में वस्तु को ना तो सूर्य अपनी ओर, ना ही पृथ्वी अपनी ओर खींच सकेगी और वस्तु अधर में लटकी रहेगी।
- लग्रांज बिंदु को एल-1, एल-2, एल-3, एल-4 और एल-5 से निरूपित किया जाता है।इसरो धरती से 8 00 किलोमीटर ऊपर एल-1 लग्रांज बिंदु के आसपास आदित्य-1 को स्थापित करना चाहता है।
क्यों महत्त्वपूर्ण है सूर्य का अध्ययन?
- सोलरसिस्टम पर पड़ने वाले प्रभाव उपग्रह की कक्षाओं को बदल सकते हैं या उनके जीवन को बाधित कर सकते हैं या पृथ्वी पर इलेक्ट्रॉनिक संचार को बाधित कर सकते हैं या अन्य गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। इसलिये अंतरिक्ष के मौसम को समझने के लिये सौर घटनाओं का ज्ञान होना महत्त्वपूर्ण है।
- पृथ्वी सहित हर ग्रह और सौरमंडल से परे एक्सोप्लैनेट्स विकसित होते हैं और यह विकास अपने मूल तारे द्वारा नियंत्रित होता है। सौर मौसम और वातावरण जो सूरज के अंदर और आसपास होने वाली प्रक्रियाओं से निर्धारित होता है, पूरे सोलरसिस्टम को प्रभावित करता है।
- पृथ्वी पर आने वाले तूफानों के बारे में जानने एवं उन्हें ट्रैक करने तथा उनके प्रभाव की भविष्यवाणी करने के लिये निरंतर सौर अवलोकन की आवश्यकता होती है, इसलिये सूर्य का अध्ययन किया जाना महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस