IMF द्वारा 9 सूत्रीय क्रिप्टो परिसंपत्ति कार्य योजना की शुरुआत

IMF द्वारा 9 सूत्रीय क्रिप्टो परिसंपत्ति कार्य योजना की शुरुआत

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 9 सूत्रीय क्रिप्टो परिसंपत्ति कार्य योजना की शुरुआत की है।

IMF कार्य योजना क्रिप्टो परिसंपत्तियों के लिए उपयुक्त नीतिगत उपाय करने हेतु मार्गदर्शन प्रदान करती है। साथ ही, यह बाली फिनटेक एजेंडा में रेखांकित सिद्धांतों को भी लागू करती है ।

  • इस एजेंडा को IMF और विश्व बैंक ने 2018 में लॉन्च किया था। इस एजेंडा का उद्देश्य वित्तीय प्रौद्योगिकी में तेजी से हो रही प्रगति के अवसरों का लाभ उठाना है।
  • क्रिप्टोकरेंसी एक प्रकार की डिजिटल मुद्रा है। यह सुरक्षा और जाली मुद्रा बनाने के विरुद्ध उपाय करने के लिए क्रिप्टोग्राफी तकनीक का उपयोग करती है। बिटकॉइन और एथेरियम क्रिप्टोकरेंसी के कुछ उदाहरण हैं।
  • प्रत्येक क्रिप्टोकरेंसी का नियंत्रण ब्लॉकचेन नामक एक वितरित बहीखाता तकनीक (Distributed ledger technology) के माध्यम से किया जाता है।

क्रिप्टो परिसंपत्तियों से संबंधित चिंताएं

  • हाल ही में, क्रिप्टो तंत्र के भीतर संचालित कई एक्सचेंज विफल हुए हैं। साथ ही, कुछ क्रिप्टो परिसंपत्तियों में भारी गिरावट से निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
  • विनियमन के अभाव में व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता पर जोखिम बढ़ जाता है।
  • अविनियमित क्रिप्टो बाजार से मनी लॉन्ड्रिग और आतंकवाद के वित्त पोषण को बढ़ावा मिलता है।

भारत में क्रिप्टोकरेंसी की स्थिति

  • वर्तमान में, भारत में क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित नहीं किया गया है।
  • वर्ष 2020 में, सुप्रीम कोर्ट ने RBI द्वारा इस संबंध में जारी किए गए एक सर्कुलर को असंवैधानिक घोषित कर दिया था।
  • यह सर्कुलर बैंकों को क्रिप्टोकरेंसी में लेन-देन करने से रोकने के लिए जारी किया गया था ।
  • बजट 2022-23 में, सरकार ने गैर-प्रतिमोच्य टोकन (non-fungible token: NFIs) और क्रिप्टोकरेंसी सहित आभासी परिसंपत्तियों के लेन-देन पर 30 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव किया था ।
  • सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2021 भी प्रस्तावित किया है।
  • इसमें आधिकारिक डिजिटल मुद्रा जारी करने हेतु रूपरेखा तैयार करने और भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसिज़ को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव किया गया है।

IMF की 9 सूत्रीय कार्य योजना

  • क्रिप्टो परिसंपत्ति को आधिकारिक मुद्रा या कानूनी मुद्रा का दर्जा नहीं दिया जाए।
  • पूंजी प्रवाह प्रबंधन उपायों की प्रभावशीलता को बनाए रखा जाए ।
  • क्रिप्टो परिसंपत्तियों पर कर लगाने की स्पष्ट प्रक्रिया अपनाई जाए।
  • क्रिप्टो परिसंपत्तियों की कानूनी स्थिति स्पष्ट हो ।
  • क्रिप्टो बाजार के सभी प्रतिभागियों के लिए निगरानी संबंधी आवश्यकताएं लागू की जाएं।
  • अलग-अलग घरेलू एजेंसियों और प्राधिकरणों को मिलाकर एक संयुक्त निगरानी रूपरेखा बनाई जाए।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग तंत्र गठित किया जाए ।
  • अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली की स्थिरता पर क्रिप्टो परिसंपत्तियों के प्रभाव की निगरानी की जाए।
  • सीमा पार भुगतान और वित्त पोषण हेतु डिजिटल अवसंरचना विकसित करने के लिए वैश्विक सहयोग को बढ़ावा दिया जाए।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष:

  • IMF की स्थापना 1945 में हुई थी, यह उन 189 देशों द्वारा शासित और उनके प्रति जवाबदेह है जो इसके वैश्विक सदस्य हैं। भारत ने 27 दिसंबर, 1945 को IMF की सदस्यता ग्रहण की है ।
  • आईएमएफ एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्था है जो अपने सदस्य देशों की वैश्विक आर्थिक स्थिति पर नज़र रखने का कार्य करती है।
  • यह अपने सदस्य देशों को आर्थिक एवं तकनीकी सहायता प्रदान करने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय विनिमय दरों को स्थिर रखने तथा आर्थिक विकास को सुगम बनाने में भी सहायता प्रदान करती है।
  • आईएमएफ का मुख्यालय वाशिंगटन डी.सी. संयुक्त राज्य अमेरिका में है। आईएमएफ की विशेष मुद्रा एसडीआर (Special Drawing Rights) कहलाती है।
  • आईएमएफ का उद्देश्य आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करना, आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देना, गरीबी को कम करना, रोज़गार के नए अवसरों का सृजन करने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाना है।

स्रोत – हिन्दुस्तान टाइम्स

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