73वें संविधान संशोधन को लागू हुए तीन दशक पूरे हुए
संसद ने दिसंबर 1992 में 73वें और 74वें संविधान संशोधनों को पारित किया था। ये अधिनियम क्रमश: 24 अप्रैल, 1993 और 1 जून, 1993 को लागू हुए थे । इसी कारण से भारत में 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
- 73वें संशोधन ने भारतीय संविधान में एक नया भाग IX को जोड़ा था। इस भाग का शीर्षक “पंचायत” है। वहीं, 74वें संशोधन ने संविधान में भाग IXA को जोड़ा था। इस भाग का शीर्षक “नगरपालिकाएं” है।
73वें संशोधन अधिनियम की प्रमुख उपलब्धियां
- पंचायतों में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के अनुपात में लगातार वृद्धि हो रही है। इसके अतिरिक्त, राजस्थान, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और केरल जैसे राज्यों में स्थानीय निकायों में 50% से अधिक महिला प्रतिनिधि हैं ।
- स्थानीय निकायों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व ने उपेक्षित समुदायों के लिए स्थानीय सार्वजनिक वस्तुओं / सेवाओं के वितरण पर सकारात्मक प्रभाव डाला है ।
- कई निर्वाचित सदस्यों (विशेष रूप से महिलाओं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति) ने अपने संवैधानिक अधिकारों का उपयोग करना आरंभ कर दिया है। इसके अलावा, वे धीरे-धीरे नेतृत्व की भूमिका भी धारण करते जा रहे हैं ।
- विकेंद्रीकरण (विशेष रूप से 3Fs: फंड्स, फंक्शन्स और फंक्शनरीज) के मामले में अलग-अलग राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया है।
73वें और 74वें संविधान संशोधनों को लागू करने में आई चुनौतियां:
- स्थानीय निकायों को आवश्यकता के अनुरूप 3Fs का हस्तांतरण नहीं किया गया है।
- स्थानीय निकायों के पास नीति निर्माण की शक्ति का अभाव है। इसके अतिरिक्त, इन्हें केवल राज्य सरकार के निर्देशों के साधन के रूप में कार्य करना पड़ता है ।
- इन्हें अनुदान के लिए राज्य सरकारों पर निर्भर रहना पड़ता है। साथ ही, वित्तीय हस्तांतरण का स्तर भी निराशाजनक है ।
- अन्य चुनौतियां: जागरूकता की कमी है; जाति, वर्ग और लिंग संबंधी पूर्वाग्रह अभी भी मौजूद हैं आदि।
स्रोत – हिन्दुस्तान टाइम्स