गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) के प्रथम सम्मेलन की 60वीं वर्षगांठ
हाल ही में गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement: NAM) के प्रथम सम्मेलन की 60वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में बेलग्रेड (सर्बिया) में उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया है।
विदेश एवं संस्कृति राज्य मंत्री ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन के प्रथम सम्मेलन की 60वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में उच्च स्तरीय बैठक को संबोधित किया।
NAM का गठन अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान तथा शीत युद्ध के चरम दौर में हुआ था।
इसके गठन के पीछे मूल विचार यह था कि दो नवगठित सैन्य गुटों (नाटो और वारसॉ संधि) से स्वयं को “गुटनिरपेक्ष” घोषित किया जाए।
इस प्रक्रिया में मिस, घाना, भारत, इंडोनेशिया और यूगोस्लाविया के तत्कालीन सरकार प्रमुखों द्वारा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई थी, जो बाद में इस आंदोलन के संस्थापक बने।
बांडुंग एशियाई-अफ्रीकी सम्मेलन (अप्रैल, 1955) के दौरान घोषित “बांडुंग के दस सिद्धांतों” को बाद में गुटनिरपेक्ष आंदोलन के मुख्य लक्ष्यों के रूप में अपनाया गया था।
वर्ष 1961 में आयोजित बेलग्रेड के प्रथम शिखर सम्मेलन में व्यापक भौगोलिक आधार पर आंदोलन की स्थापना की गई थी।
ज्ञातव्य है कि शीत युद्ध की समाप्ति के पश्चात्, आंदोलन की प्रासंगिकता का लोप होने लगा था। किंतु हवाना शिखरसम्मेलन (2008) के दौरान, सदस्य देशों ने उन आदर्शों, सिद्धांतों और उद्देश्यों (संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुरूप) के प्रतिअपनी प्रतिबद्धता की पुनर्पुष्टि की, जिनके आधार पर आंदोलन की स्थापना हुई थी।
इस आंदोलन में 120 सदस्य और 17 पर्यवेक्षक देश शामिल हैं।
स्रोत –द हिन्दू