कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव (CSC) की NSA स्तरीय 5 वीं बैठक आयोजित

कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव (CSC) की NSA स्तरीय 5 वीं बैठक आयोजित

हाल ही में कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव (CSC) की NSA स्तरीय 5 वीं बैठक आयोजित की गयी है।

वर्ष 2011 में ‘समुद्री सुरक्षा पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) स्तरीय त्रिपक्षीय बैठक का आयोजन किया गया था। बाद में इसका नाम बदलकर कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव (CSC) कर दिया गया।

  • यह कॉन्क्लेव या सम्मेलन सदस्य देशों को साझा सुरक्षा खतरों पर क्षमता निर्माण में मदद करता है।
  • इसके संस्थापक सदस्य मालदीव, भारत और श्रीलंका हैं। हाल ही में, संपन्न हुई बैठक में मॉरीशस को नवीनतम सदस्य के रूप में जोड़ा गया है। बांग्लादेश और सेशेल्स को इसमें पर्यवेक्षक (observer) का दर्जा प्राप्त है।

इसकी 5 वीं बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सहयोग के निम्नलिखित पांच व्यापक क्षेत्रों की भी पहचान की गई है:

  1. समुद्री रक्षा और सुरक्षा,
  2. आतंकवाद और कट्टरपंथ रोधी उपाय करना,
  3. तस्करी और अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध का मुकाबला करना,
  4. साइबर सुरक्षा,महत्वपूर्ण अवसंरचना (critical infrastructure) और प्रौद्योगिकी की सुरक्षा करना,
  5. मानवीय सहायता और आपदा राहत कार्य में सहयोग करना।

इसके तहत निर्धारित रोडमैप सदस्य देशों के बीच निम्नलिखित के लिए एक मजबूत तंत्र की सुविधा प्रदान करेगा:

  • समन्वित कार्रवाई करने के लिए, क्षमता निर्माण करने के लिए, और प्रभावी रूप से सूचना का आदान-प्रदान करने के लिए।
  • कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव को भारत द्वारा अपनी समुद्री सुरक्षा बढ़ाने के संबंध में एक जरूरी कदम के रूप में देखा जा रहा है।
  • समुद्री सुरक्षा में समुद्री क्षेत्र से जुड़े व्यापक मुद्दे जैसे कि राष्ट्रीय सुरक्षा, समुद्री पर्यावरण, आर्थिक विकास, मानवीय सुरक्षा आदि शामिल होते हैं।
  • विश्व के महासागरों के अलावा, यह क्षेत्रीय समुद्रों, प्रादेशिक जल क्षेत्र, नदियों और बंदरगाहों से भी संबंधित है।

समुद्री सुरक्षा में सुधार के लिए उठाए गए अन्य कदम

  • क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास अर्थात् सागर (Security & Growth for All in the Region: SAGAR): यह नीति अपने समुद्री पड़ोसियों के साथ आर्थिक और सुरक्षा सहयोग बढाने पर केंद्रित है। साथ ही, इसके तहत इन पडोसियों की समद्री सरक्षा से संबंधित क्षमताओं के निर्माण में भी सहायता प्रदान की जाती है।
  • हिंद महासागर नौसैनिक संगोष्ठी (Indian Ocean Naval Symposium: IONS): इसका उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र के तटवर्ती देशों की नौसेनाओं के मध्य समुद्री सहयोग को बढ़ाना और राष्ट्रों के बीच शांतिपूर्ण संबंधों को बनाए रखने में मदद करना है।
  • भारत की पडोस प्रथम” (नेबरहुड फस्ट) की नीति: यह स्थिरता और समद्धि के लिए पारस्परिक रूप से लाभप्रद, जनोन्मुख व क्षेत्रीय फ्रेमवर्क के निर्माण पर केंद्रित है।

स्रोत द हिन्दू

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