BIMSTEC शिखर सम्मेलन का आयोजन संपन्न
हाल ही में श्रीलंका की मेजबानी में पांचवें बिम्सटेक (BIMSTEC) शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया है ।
- वर्चुअल माध्यम से बिम्सटेक (वे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन) शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया।
- इस शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधान मंत्री ने सदस्य देशों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ाने का आह्वान किया। साथ ही, उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि अब बंगाल की खाड़ी (वे ऑफ बंगाल) को, सदस्य देशों के बीच ‘कनेक्टिविटी, समृद्धि और सुरक्षा का सेतु बनाने का समय आ गया है।
- इसके अलावा, भारत ने बिम्सटेक सचिवालय के ऑपरेशनल बजट को बढ़ाने के लिए 10 लाख डॉलर देने की भी घोषणा की।
पांचवें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के मुख्य निष्कर्षों पर एक नजर:
- इस शिखर सम्मेलन में “बिम्सटेक चार्टर” को अपनाया गया और उस पर हस्ताक्षर किये गए। यह चार्टर बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित तथा उस पर निर्भर सदस्य देशों के समूह को एक औपचारिक स्वरूप प्रदान करता है।
- दूसरे शब्दों में, इस चार्टर के चलते अब बिम्सटेक एक समूह (ग्रुपिंग) के बजाय औपचारिक रूप से एक संगठन (ऑर्गेनाईजेशन) में तब्दील हो जाएगा। यह चार्टर बिम्सटेक को एक नई अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाएगा।
- इसमें औपचारिक रूप से बिम्सटेक के उद्देश्यों और सिद्धांतों को भी निर्धारित किया गया है।
- ज्ञातव्य है कि एक समर्पित चार्टर के अभाव में, अभी तक बिम्सटेक का आयोजन या संचालन वर्ष 1997 के बैंकाक घोषणा-पत्र के आधार पर किया जाता था।
- बिम्सटेक के लीडर्स इस समूह के कामकाज को सात खंडों (Seven segments) में विभाजित करने के लिए सहमत हुए हैं। भारत, “सुरक्षा सेगमेंट” में नेतृत्व प्रदान करेगा।
ये सात खंड निम्नलिखित हैं:
- व्यापार, निवेश और विकास
- पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन
- सुरक्षा (भारत के नेतृत्व में)
- कृषि और खाद्य सुरक्षा
- सदस्य देशों के लोगों के बीच संपर्क
- विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार; तथा
- कनेक्टिविटी।
इस शिखर सम्मेलन में “ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी के लिए मास्टर प्लान” की घोषणा की गयी। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय और घरेलू कनेक्टिविटी के लिए एक फ्रेमवर्क प्रदान करना है।
स्रोत-द हिन्दू