भारत –वियतनाम द्विपक्षीय राजनयिक संबंधों की 50वीं वर्षगांठ संपन्न
हाल ही में भारत और वियतनाम ने द्विपक्षीय राजनयिक संबंधों की 50वीं वर्षगांठ पर एक-दूसरे को बधाई दी है। इस अवसर पर दोनों पक्षों ने बौद्ध धर्म के ऐतिहासिक मूल और औपनिवेशिक शासन से मुक्ति के लिए संघर्ष के अनुभवों को साझा किया है।
महात्मा गांधी और हो ची मिन्ह को क्रमशः भारत और वियतनाम में राष्ट्रपिता माना जाता है। इन्होंने वीरतापूर्ण संघर्ष में लोगों का नेतृत्व किया था।
बौद्ध भिक्षुओं, “महाजावक और कल्याणकुरिरे” को दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान वियतनाम में बौद्ध धर्म की स्थापना का श्रेय दिया जाता है।
दोनों देशों ने वर्ष 2007 में द्विपक्षीय संबंधों को ‘रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ा दिया था। वर्ष 2016 में “व्यापक रणनीतिक साझेदारी” के रूप में इन संबंधों के स्तर में और वृद्धि की गई थी।
वर्ष 2020 में, दोनों देशों ने एक ऐतिहासिक शांति, समृद्धि और लोगों के लिए संयुक्त विजन को अपनाया था।
भारत के लिए वियतनाम का महत्व:
ज्ञातव्य हो कि भारत और वियतनाम के संबंध पिछले 50 वर्षों में मजबूत हुए हैं। वियतनाम, भारत की एक्ट ईस्ट नीति के केंद्र में है।
दक्षिण चीन सागर में ऊर्जा सहयोगः
भारत का तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) दक्षिण चीन सागर में वियतनाम द्वारा दावा किए गए क्षेत्रों में तेल की खोज कर रहा है। हालांकि, चीन इसका विरोध कर रहा है। वियतनाम इस क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देने के मामले में एक प्रमुख भागीदार देश है, क्योकिं यह आसियान (ASEAN) और हिंद-प्रशांत क्षेत्र, दोनों से संबंधित है।
वियतनाम ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए भारत के दावे का समर्थन किया है।
स्रोत – द हिंदू