वार्षिक भारत-फ्रांस रणनीतिक वार्ता के 36वें सत्र का आयोजन
हाल ही में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) ने वार्षिक भारत-फ्रांस रणनीतिक वार्ता के 36वें सत्र की मेजबानी की है।
वार्षिक भारत-फ्रांस रणनीतिक वार्ता में दोनों पक्षों ने ‘नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था और ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ पर बल दिया है।
नियम-आधारित (Rule-based) अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था:
- यह वास्तव में नियमों का एक सेट है, जो देशों के बीच शांतिपूर्ण व सहयोगात्मक व्यवहार को प्रोत्साहित करता है। यह व्यवहार उदारवादी मूल्यों और सिद्धांतों के अनुरूप होता है। इस व्यवस्था में औपचारिक संस्थागत संगठनों को भी शामिल किया जाता है।
- रणनीतिक स्वायत्तता: यह किसी देश की अत्यधिक महत्वपूर्ण मामलों पर अपेक्षाकृत स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता है।
भारत –फ़्रांस संबंध
- भारत और फ्रांस ने वर्ष 1998 में रणनीतिक साझेदारी की स्थापना की थी ।
- रणनीतिक साझेदारी के प्रमुख स्तंभ हैं– रक्षा और सुरक्षा सहयोग, अंतरिक्ष क्षेत्रक में सहयोग तथा असैन्य परमाणु क्षेत्र में सहयोग
- रक्षा सहयोग: भारत ने फ्रांस से राफेल विमानों की खरीद की है,
- दोनों देशों ने पारस्परिक लॉजिस्टिक सहायता के प्रावधान से संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं;
- दोनों देश शक्ति (थल सेना ), वरुण (नौसेना) और गरुड़ (वायु सेना) जैसे द्विपक्षीय संयुक्त रक्षा अभ्यासों में शामिल होते हैं आदि ।
- अंतरिक्ष सहयोग: दोनों देशों ने संयुक्त रूप से मेघा – ट्रॉपिक्स उपग्रह और तृष्णा / TRISHNA (थर्मल इंफ्रारेड इमेजिंग सैटेलाइट फॉर हाई – रिज़ॉल्यूशन नेचुरल रिसोर्स असेसमेंट) विकसित किए हैं। इसके अलावा, फ्रांस गगनयान मिशन में भी भारत को सहयोग कर रहा है।
- असैन्य परमाणु सहयोग: दोनों देशों ने वर्ष 2008 में असैन्य परमाणु सहयोग पर हस्ताक्षर किए थे। फ्रांस, जैतपुर और तारापुर परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं में भी सहयोग कर रहा है ।
- फ्रांस परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) में शामिल होने के भारत के प्रयासों का भी समर्थन करता है ।
स्रोत – पी.आई.बी.