राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) का 28वां स्थापना दिवस कार्यक्रम
हाल ही में प्रधान मंत्री ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (National Human Rights Commission: NHRC) के 28वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में भाग लिया है।
NHRC को मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम (Protection of Human Rights Act), 1993 के तहत स्थापित किया गया है। यह मानवाधिकारों के प्रचार और संरक्षण की दिशा में कार्य करता है।
यह किसी भी प्रकार के मानवाधिकारों के उल्लंघन का संज्ञान लेता है, उनकी जांच करवाता है और यदि उल्लंघन पाया जाता है, तो क्षतिपूर्ति तथा अन्य उपचारात्मक एवं विधिक उपायों की अनुशंसा करता है।
यह पेरिस सिद्धांत (Paris Principles) 1991 के भी अनुरूप है।
वर्ष 2019 में, मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम {Protection of Human Rights (Amendment)Act} के माध्यम से NHRC की संरचना में परिवर्तन किया गया था।
इसके द्वारा निम्नलिखित संशोधन किए गए थे
- भारत के मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त, उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश रहा कोई भी व्यक्ति आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जाएगा।
- मानवाधिकारों की जानकारी रखने वाले आयोग के सदस्यों की संख्या को 2 से बढ़ाकर 3 कर दिया गया है। इनमें से एक सदस्य महिला होगी।
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC), राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) और राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) के मौजूदा अध्यक्षों के साथ राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) व राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष तथा दिव्यांग व्यक्तियों के लिए मुख्य आयुक्त (Chief Commissioner for Persons with Disabilities) को NHRC के सदस्यों के रूप में शामिल किया गया है।
- इसने 70 वर्ष की आयु सीमा निर्धारित करते हुए अध्यक्ष और सदस्यों के कार्यकाल को 5 वर्ष से घटाकर 3 वर्ष कर दिया है।
NHRC की महत्वपूर्ण उपलब्धियां:
- आयोग द्वारा मानवाधिकारों से संबंधित 17 लाख से अधिक मामलों का निराकरण किया गया है।
- मानवाधिकारों के उल्लंघन के पीड़ित व्यक्तियों को 1 अरब रुपये से अधिक की क्षतिपूर्ति राशि प्रदान करवाई है।
- आयोग ने वर्ष 2007 में पश्चिम बंगाल में नंदीग्राम हिंसा और छत्तीसगढ़ में सलवाजुडूम से संबंधित घटनाओं में भी हस्तक्षेप किया था।
स्रोत –द हिन्दू