“वैश्विक खाद्य नीति रिपोर्ट 2022” जारी
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (IFPRI) ने जलवायु परिवर्तन और खाद्य प्रणालियों पर “वैश्विक खाद्य नीति रिपोर्ट 2022” जारी की है ।
इस रिपोर्ट में साक्ष्य आधारित नीतियों और नवाचारों की एक श्रृंखला पर प्रकाश डाला गया है। इन्हें हमारी खाद्य प्रणालियों में अनुकूलन और शमन उपायों को प्राथमिकता देने तथा इन्हें तुरंत लागू करने पर बल दिया गया है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष–
- वर्ष 2030 तक, भारत का खाद्य उत्पादन 16% तक कम हो सकता है। साथ ही, भुखमरी से पीड़ित लोगों की संख्या में 23% की वृद्धि हो सकती है।
- जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में वैश्विक खाद्य उत्पादन वर्ष 2010 के स्तर की तुलना में वर्ष 2050 तक लगभग 60% तक बढ़ जाएगा।
- वैश्विक स्तर पर, 7 करोड़ से अधिक लोगों पर भुखमरी का खतरा होगा। इनमें लगभग 28 करोड़ से अधिक लोग पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका में होंगे।
- वर्ष 2030 तक दक्षिण एशिया एवं पश्चिम और मध्य अफ्रीका में मांस का उत्पादन दोगुना तथा वर्ष 2050 तक तीन गुना होने का अनुमान है।
नीति संबंधी सिफारिशें
- खाद्य प्रणालियों को जलवायु-सहनशील बनाने, संसाधनों का कुशलता से उपयोग करने और सतत नवाचारों के लिए अनुसंधान एवं विकास में निवेश किये जाने की आवश्यकता है।
- जल, भूमि, वन और ऊर्जा संसाधनों का समग्र व समावेशी अभिशासन तथा प्रबंधन सनिश्चित किया जाना चाहिए।
- स्वस्थ आहार को बढ़ावा देने और खाद्य उत्पादन की निरंतरता में वृद्धि करने की जरूरत है।
- मूल्य श्रृंखला की दक्षता में सुधार, व्यापार को सुविधाजनक बनाने और खाद्य पदार्थों के नुकसान को कम करने की आवश्यकता है।
- खाद्य प्रणाली में पूंजी प्रवाह में सुधार कर नए वित्तीय स्रोतों को आकर्षित करना चाहिए।
- सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों का लाभ ऐसी गरीब ग्रामीण आबादी तक पहुंचाने की जरूरत है, जिनका जीवन यापन कृषि पर निर्भर है। इससे उन्हें जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचाया जा सकता है ।
IFPRI के बारे में
- अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (IFPRI), अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान पर सलाहकार समूह (CGIAR) का अनुसंधान केंद्र है। इसकी स्थापना वर्ष 1975 में हुई थी।
- यह गरीबी को संधारणीय तरीके से कम करने एवं भुखमरी और कुपोषण को समाप्त करने के लिए अनुसंधान-आधारित नीतिगत समाधान प्रदान करता है।
- CGIAR एक वैश्विक साझेदारी है। इसकी स्थापना वर्ष 1971 में हुई थी। इसे खाद्य सुरक्षित भविष्य के लिए अनुसंधान में संलग्न एक एकीकृत अंतर्राष्ट्रीय संगठन के रूप में स्थापित किया गया था।
स्रोत –द हिन्दू