RBI द्वारा “राज्य वित्तः 2022-23 के बजटों का अध्ययन” शीर्षक से रिपोर्ट जारी
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक ने “राज्य वित्तः 2022-23 के बजटों का अध्ययन” शीर्षक से रिपोर्ट जारी की है।
यह एक वार्षिक प्रकाशन है। यह रिपोर्ट वर्ष 2022-23 के लिए राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति के बारे में जानकारी, विश्लेषण और मूल्यांकन प्रदान करती है।
इस वर्ष की रिपोर्ट की थीम है “भारत में पूंजी निर्माण – राज्यों की भूमिका” ।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
- राज्यों के सकल राजकोषीय घाटे (GFD) 2022-23 में घटकर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 4 प्रतिशत हो जाने का बजटीय अनुमान है। वर्ष 2020-21 में यह 4.1 प्रतिशत था ।
- जब सरकार का कुल व्यय, राजस्व प्राप्तियों (Revenue receipts) और दिए गए ऋण की वसूली से प्राप्त राशि एवं गैर–ऋण पूंजीगत प्राप्तियों (विदेशी अनुदान आदि) से अधिक हो जाए तो उसे सकल राजस्व घाटा (GFD) कहते हैं ।
- राज्यों का ऋण, 2020-21 में GDP के 1 प्रतिशत की तुलना में 2022 – 23 में कम होकर 29.5 प्रतिशत रहने का बजटीय अनुमान है।
- वर्ष 2022-23 में, राज्यों ने पिछले तीन वर्षों की तुलना में अधिक पूंजीगत परिव्यय का बजट रखा है।
रिपोर्ट में की गई मुख्य सिफारिशें
- स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे क्षेत्रकों के लिए पूंजीगत व्यय के आवंटन में वृद्धि करनी चाहिए ।
- अच्छे समय (जब राजस्व प्रवाह मजबूत होता है) के दौरान एक पूंजीगत व्यय बफर निधि (Capex buffer fund) के निर्माण पर विचार करना चाहिए।
- इससे आर्थिक चक्र के माध्यम से व्यय की गुणवत्ता एवं प्रवाह को सुचारू रूप से बनाए रखा जा सकेगा।
- राज्य वित्त आयोगों के माध्यम से स्थानीय निकायों को समय पर धन के हस्तांतरण के लिए प्रणालियों को मजबूत करना चाहिए।
- उच्च अंतर-राज्य व्यापार और कारोबारों को प्रोत्साहित करने एवं सुविधा प्रदान करने की आवश्यकता है।
पूंजी निर्माण
- यह उस प्रक्रिया को कहा जाता है, जिसके द्वारा संसाधनों को संयंत्र, मशीनरी जैसी परिसंपत्तियों में तथा शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास आदि के माध्यम से मानव पूंजी में निवेश किया जाता है।
- वर्ष 2021 में भारत का पूंजी निवेश / GDP अनुपात 2 प्रतिशत था । यह ब्रिक्स (BRICS) के अन्य सदस्य देशों की तुलना में काफी अधिक था ।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस