1971 के युद्ध में भारत की विजय के 50 वर्ष पूर्ण
हाल ही में भारत ने वर्ष 1971 के युद्ध में भारत की विजय के 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में स्वर्णिम विजय पर्व का उद्घाटन किया है ।
- यह आयोजन नई दिल्ली में इंडिया गेट लॉन में भारत-पाक युद्ध (वर्ष 1971) में बांग्लादेश की मुक्ति में सशस्त्र बलों की वीरता एवं दक्षता तथा उनके योगदान की स्मृति में किया गया था।
- दक्षिण एशिया के इतिहास और भूगोल को बदल देने वाला यह युद्ध, भारत ने इस आधार पर लड़ा था कि अन्याय कहीं भी हो, वो हर जगह न्याय के लिए खतरा है।
युद्ध के परिणाम
- 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना के बिना शर्त आत्मसमर्पण के बाद युद्ध समाप्त हो गया था। 93,000 से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना और बांग्लादेश मुक्ति सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।
- इसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा आत्मसमर्पण माना गया था।
- शिमला समझौते पर 2 जुलाई 1972 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे।
- इसमें वर्ष 1971के युद्ध के परिणामों को उलटने की मांग की गई थी। समझौते के तहत दोनों देशों ने संघर्ष और टकराव को समाप्त करने तथा स्थायी शांति, मित्रता एवं सहयोग की स्थापना की दिशा में कार्य करने का संकल्प लिया था।
- जम्मू और कश्मीर में नियंत्रण रेखा की अनुल्लंघनीयता बनाए रखना भी समझौते के प्रमुख बिंदुओं में से एक था। भारत ने पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को बनाए रखने के दौरान शिमला समझौते का ईमानदारी से पालन किया है।
- संबंधित सुर्खियों में पहला भारत-बांग्लादेश ‘मैत्री दिवस’ विश्व भर में भारतीय दूतावासों द्वारा मनाया गया था।
- यह बांग्लादेश के गठन के 50 वर्ष, नई दिल्ली और ढाका के बीच राजनयिक संबंधों के 50 वर्ष तथा भारत-पाक युद्ध के 50 वर्ष की स्मृति में मनाया गया था।
स्रोत – द हिन्दू