15वें वित्त आयोग का पंचायतों के लिए नियम
हाल ही में 15वें वित्त आयोग द्वारा वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-26 के दौरान पंचायतों को स्वच्छ जल और स्वच्छता के लिए सशर्त अनुदान की अनुशंसा की गई ।
15वें वित्त आयोग ने 28 राज्यों में ग्रामीण स्थानीय निकायों (Rural Local Bodies: RLBS) और पंचायतों के लिए कुल 2, 36,805 करोड़ रुपये की संस्तुति की है। इसमें पांचवी और छठी अनुसूची के क्षेत्र एवं अपवर्जित क्षेत्र भी शामिल हैं।
कुल निर्धारित अनुदान में से, 60 प्रतिशत (1.42 लाख करोड़ रुपये) को सशर्त अनुदान के रूप में निर्धारित कियागया है, जबकि 40 प्रतिशत (94,721 करोड़ रुपये) बिना-शर्त है (अर्थात बुनियादी सेवाओं में सुधार हेतु पंचायत अपने विवेकानुसार उपयोग कर सकती है)।
सशर्त अनुदान का उपयोग निम्नलिखित के लिए किया जाएगाः
- पेयजल की आपूर्ति, वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण की आपूर्त तथा स्वच्छता तथा खुले में शौच मुक्त (ODD स्थिति का अनुरक्षण (घरेलू अपशिष्ट का प्रबंधन और उपचार, मानव मल एवं गाद प्रबंधन सहित)।
- जल शक्ति मंत्रालय के अधीन पेयजल और स्वच्छता विभाग, 15वें वित्त आयोग के सशर्त अनुदान के लिए ग्रामीण स्थानीय निकायों की पात्रता का निर्धारण करने हेतु नोडल विभाग होगा।
- यह वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग को सशर्त अनुदान जारी करने की संस्तुति करेगा।
15वें वित्त आयोग से संबद्ध अनुदान का महत्वः जल जनित रोगों में कमी और स्वास्थ्य में सुधार, विद्यालय छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में कमी, कठिन परिश्रम से बचाव आदि में अत्यधिक लाभदायक होगा।
वित्त आयोग के बारे में
- संविधान के अनुच्छेद 280 के अनुसार, राष्ट्रपति प्रत्येक 5 वर्ष में एक वित्त आयोग का गठन करता है। यह संघ तथा राज्यों व विभिन्न राज्यों के मध्य कर राजस्व के संवितरण की सिफारिश करता है।
- 15वें वित्त आयोग को वर्ष 2020-2025 के दौरान पंचायतों तथा नगरपालिकाओं के लिए अनुपूरक संसाधनों हेतु राज्यों की संचित निधि के संवर्धन के लिए आवश्यक उपायों की संस्तुति करने हेतु अधिदेशित किया गया है।
स्रोत – पी आई बी