13 प्रमुख नदियों के कायाकल्प पर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट
हाल ही में वानिकी संबंधी पहल (Forestry Interventions) के माध्यम से 13 प्रमुख नदियों के कायाकल्प पर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPRS) जारी की गई ।
ये तेरह नदियाँ हैं: झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, सतलुज, यमुना, ब्रह्मपुत्र, लूनी, नर्मदा, गोदावरी, महानदी, कृष्णा और कावेरी।
सामूहिक रूप से इन नदियों का बेसिन (अपवाह क्षेत्र) 18 लाख वर्ग कि.मी. में फैला हुआ है। यह देश के भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 7.45% है।
इस विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (Detailed Project Report: DPRs) की विशेषताएं:
इसमें इन 13 नदियों के साथ-साथ इनकी सहायक नदियों को भी शामिल किया गया है। इसके तहत इन नदियों के आस-पास के भू-परिदृश्य (landscapes) अर्थात् नदी-परिदृश्य में वानिकी संबंधी पहल शुरू करने का प्रस्ताव किया गया है।
ये वानिकी संबंधी पहल निम्नलिखितअलग–अलग भू–परिदृश्यों में किये जाएंगेः
- प्राकृतिक भू-परिदृश्य,कृषि भूपरिदृश्य, और शहरी भू–परिदृश्य।
- इस परियोजना के क्रियान्वयन के दौरान, ‘रिज टू वैली एप्रोच (चोटी से घाटी दृष्टिकोण) का पालन किया जाएगा। वृक्षारोपण से पहले मृदा और नमी संरक्षण पर ध्यान दिया जाएगा।
रिज टू वैली एप्रोचः
- इसका आशय/उद्देश्य है- उपलब्ध वर्षा के जल को रोकना, उसके प्रवाह को आवश्यकतानुसार दिशा देना, उसे स्टोर करना और उपयोग करना।
- इसके तहत रिज या कटक के शीर्ष से लेकर घाटी तक जल की प्रत्येक बूंद को संरक्षित करने पर ध्यान दिया जाता है। इस प्रकार यह सतही अपवाह की मात्रा और जल के वेग, दोनों को काफी हद तक कम करता है।
- इस परियोजना के तहत मुख्य रूप से वन संरक्षण, वनीकरण, जलग्रहण क्षेत्र के पुनरुद्धार, पारिस्थितिक तंत्र की पुनर्बहाली, नमी संरक्षण, आजीविका में सुधार, आय सृजन, इको-टूरिज्म आदि पर बल दिया गया है।
- इन लक्ष्यों की प्राप्ति रिवर फ्रंट्स व इको-पार्क्स को विकसित करके और जनता के बीच जागरूकता पैदा करके की जाएगी।
इस परियोजना का महत्वः
इस परियोजना से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होने की संभावना है:
- देश में वनावरण में वृद्धि, मृदा अपरदन में कमी, जलस्तर का पुनर्भरण, कार्बन डाइऑक्साइड के पृथक्करण में सहायक, गैर-काष्ठ वनोपज की प्राप्ति में सहायक, आदि।
- इस विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को राष्ट्रीय वनीकरण और पारिस्थितिकी विकास बोर्ड (पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन) द्वारा वित्त पोषित किया गया है।
- इसे भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (Indian Council of Forestry Research Education: ICFRE), देहरादून द्वारा तैयार किया गया है।
स्रोत –द हिन्दू