11वीं कृषि संगणना (2021-2022) का शुभारंभ
हाल ही में केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री ने 11वीं कृषि संगणना (2021-2022) का शुभारंभ किया है ।
भारत की कृषि संगणना राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से वर्ष 1970-71 से आयोजित की जाती रही है।
यह संगणना संयुक्त राष्ट्र कृषि एवं खाद्य संगठन (FAO) के वैश्विक कृषि संगणना कार्यक्रम के तहत की जाती है। यह संगणना प्रत्येक 5 वर्षों में की जाती है। यह अलग-अलग संकेतकों पर जानकारी का मुख्य स्रोत है।
इन संकेतकों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- खेती के अधीन भू-जोत की प्रकृति और उनका आकार,
- वर्ग के अनुसार भू-जोत का वितरण,
- भूमि उपयोग के आंकड़े,
- काश्तकारी और फसल पैटर्न।
- कृषि संगणना कृषि सांख्यिकी की एक व्यापक एकीकृत राष्ट्रीय प्रणाली के विकास के लिए आधार प्रदान करती है। साथ ही यह राष्ट्रीय सांख्यिकीय प्रणाली के अलग-अलग घटकों के साथ भी जुड़ी रहती है।
- 11वीं संगणना के दौरान पहली बार स्मार्टफोन और टैबलेट पर डेटा संग्रह किया जाएगा। यह तेज और सटीक गणना में मदद करेगा।
- अधिकांश राज्यों ने भूमि रिकॉर्ड्स और सर्वेक्षणों को डिजिटल कर दिया है। इससे कृषि संगणना के आंकड़ों के संग्रह में और तेजी आएगी।
10वीं कृषि संगणना (2015-16) के निष्कर्ष
- सभी किसानों में 2% लघु और सीमांत किसान हैं, लेकिन उनके पास केवल 47.3% फसल क्षेत्र था। (दो हेक्टेयर से कम भूमि वाले किसानों को लघु और सीमांत किसान कहा जाता है ।)
- जोतधारण का असमान वितरण जारी रहा है।
‘वैश्विक कृषि संगणना‘ (WCA) कार्यक्रम के बारे में
- पहली ‘वैश्विक कृषि संगणना वर्ष 1930 में अंतर्राष्ट्रीय कृषि संस्थान ने कराई थी। वर्ष 1950 से शुरु करते हुए FAO प्रत्येक 10 वर्षों में ‘वैश्विक कृषि संगणना’ की तैयारी और आयोजन करता रहा है।
- भारत में अपनाई गई कृषि परिचालन जोत की अवधारणा FAO द्वारा निर्धारित अवधारणा से कुछ हद तक अलग है। इसमें ऐसी जोत शामिल नहीं हैं, जिसमें खेती नहीं की जा रही है, जैसे- मुख्यतः पशुधन, मुर्गी पालन, मत्स्य पालन आदि में इस्तेमाल कृषि भूमि।
स्रोत –द हिन्दू