अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IIEA) के अनुसार भारत, चीन को पीछे छोड़ते हुए वर्ष 2026 तक तीसरा सबसे बड़ा इथेनॉल उपभोक्ता बन जाएगा।
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (EA) की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत में इथेनॉल की मांग वर्ष 2017और वर्ष 2021 के बीच तीन गुना बढ़ी है। पिछले कैलेंडर वर्ष में 3 करोड़ लीटरइथेनॉल की खपत होने का अनुमान है।
इथेनॉल एक नवीकरणीय इंधन है। इसे सामूहिक रूप से बायोमासके रूप में ज्ञात विभिन्न पादपसामग्रियों से बनाया जाता है।
यह एक स्वच्छ व रंगहीन तरल है। इसमें गैसोलीन की तुलना में उच्च ऑक्टेन संख्या (ON) होती है, जो बेहतर मिश्रण गुण प्रदान करती है।
ऑक्टेन संख्या (ON)गैसोलीन की गुणवत्ता या प्रदर्शन की माप है। यह संख्या जितनी अधिकहोती है, इंधन का दहन उतना ही बेहतर माना जाता है।
भारत ने वर्ष 2070 तक कार्वन तटस्थ बनने का संकल्प लिया है। इसके लिए गैसोलीन में 20% इथेनॉल मिश्रितकिया जायेगा। इस मिश्रण लक्ष्य के लिए निर्धारित अवधि पहले वर्ष 2030 थी, जिसे घटाकर वर्ष 2025 कर दिया गया है। साथ ही, वर्ष 2023 में 20% इथेनॉल मिश्रण वाले ईंधन की बिक्री प्रारंभ करने का लक्ष्य भी रखा है।
भारत इस कैलेंडर वर्ष में 10% मिश्रण प्राप्त करने की राह पर है।
इथेनॉल मिश्रण का महत्वः
- तेल आयात को कम करने में मदद मिलेगी।
- यह वायु प्रदूषण को कम करने में सहायक है।
- यह किसानों को आर्थिक और रोजगार के अवसर प्रदान करता है।
चुनौतियां:
- वाहन अनुकूलताः मौजूदा वाहनों में E0 से उच्चतर इंधन मिश्रणों के साथ अनुकूलता संबंधी समस्याएंउत्पन्न हो सकती हैं।
- ग्रीनहाउसगैस (GHG) और संधारणीयता संबंधी मानदंड।
- फीडस्टॉक उपलब्धता।
- प्रोत्साहनों को उचित स्तर पर बनाए रखना।
इथेनॉल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदम
- फीडस्टॉक के अनुसार प्रति लीटरइथेनॉल की गारंटीकृत कीमत।
- नई इथेनॉल क्षमता के लिए वित्तीय सहायता दी जा रही है।
- फ्लेक्स–फ्यूल वाहनों को अनिवार्य करने की योजना निर्मित की गई है। ऐसे वाहन उच्च इथेनॉल मिश्रणों के अनुकूल हैं।
स्रोत –द हिन्दू