उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति ने प्रत्येक राज्य में वृक्ष संरक्षण प्राधिकरण की स्थापना का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है ।
प्रमुख सिफारिशें–
- राज्य और स्थानीय स्तर पर एक वृक्ष संरक्षण प्राधिकरण की स्थापना करनी चाहिए। यह प्रतिपूरक वनीकरण की निगरानी करेगा तथा गैर-वन भमि पर सरकार के स्वामित्व वाले वृक्षों के संरक्षक के रूप में कार्य करेगा।
- एक राष्ट्रीय मॉडल अधिनियम पारित करना चाहिए। यह जन भागीदारी को सक्षम करने के लिए विभिन्न स्तरों पर वृक्ष संरक्षण प्राधिकरण के कार्यों, शक्तियों और संरचना को संहिताबद्ध करने में सहायक होगा। न्यूनतम सीमा निर्धारण के साथ पर्यावरण के प्रति संवेदनशील स्थलों की पहचान करनी चाहिए। इसके आगे भूमि के भिन्न उपयोग और वृक्षों की कटाई की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
- एक राष्ट्रीय अनुसंधान परियोजना आरंभ करनी चाहिए। यह प्रजाति-विशिष्ट वृक्ष के निवल वर्तमान मूल्य (Net present value: NPV) पर पहुंचने के लिए उसके पारिस्थितिकी तंत्र सेवा का मूल्यांकन करेगी।
- वृक्षारोपण की लागत का तीन वर्षों में एक बार मूल्यांकन किया जाना चाहिए । वृक्षों की विद्युत के तारों, केबलों, विज्ञापन करने वालों और आम जनता के कारण होने वाली हानि से सुरक्षा करनी है ।
स्रोत –द हिन्दू