समावेशी संवृद्धि को बढ़ाने हेतु राज्यों ने नीति आयोग जैसी संस्था बनाने की मांग

समावेशी संवृद्धि को बढ़ाने हेतु राज्यों ने नीति आयोग जैसी संस्था बनाने की मांग

हाल ही में कुछ राज्यों ने नीति आयोग से राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्था (नीति आयोग / NITI Aayog) की तर्ज पर राज्य परिवर्तन संस्थाएं (SITs) गठित करने मांग की है।

इसके पीछे राज्यों का तर्क विकास को बढ़ावा देना और समावेशी संवृद्धि सुनिश्चित करना है।

इससे सहकारी संघवाद की प्रतिबद्धता भी प्रभावी बनेगी।

हाल ही में, इसी तर्ज पर महाराष्ट्र परिवर्तन संस्था (मित्र / Mitra) की स्थापना की गई है।

SITs की आवश्यकता क्यों है?

बुनियादी सेवाओं के वितरण में वित्त की उपलब्धता की तुलना में राज्य की क्षमता और अभिशासन संबंधी खामियां बड़ी चुनौतियां हैं। यह संस्था इसमें सुधार ला सकती है।

सेवा वितरण में कमियां गरीबों को अधिक नुकसान पहुंचाती हैं। यह संस्था इन कमियों को दूर कर सकती है।

“राज्य क्षमता का निर्माण अधिक लाभकारी है, क्योंकि यह 10-20 गुना अधिक लागत प्रभावी है।

SIT का महत्व

लोकतांत्रिक जवाबदेही को राज्यों में भी स्थानांतरित किया जा सकता है।

14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के बाद राज्य अपनी बढ़ी हुई राजकोषीय क्षमताओं का लाभ उठा सकेंगे।

ये किसी नीति निर्माण के परीक्षण के लिए मूल्यवान प्रयोगशालाएं सिद्ध हो सकती हैं।

राज्यों की क्षमता निर्माण के लिए नीति आयोग की पहलें

अवसंरचना परियोजनाओं के लिए राज्यों को विकास समर्थन सेवाएं शुरू की गई हैं। इससे अवसंरचना परियोजनाओं का निरंतर वितरण सुनिश्चित किया जा सकेगा।

स्टेट फाइनेंस एंड कोऑर्डिनेशन वर्टिकल का गठन किया गया है। इसका उद्देश्य समष्टि आर्थिक, वित्तीय और सामाजिक संकेतकों पर राज्यवार डेटाबेस बनाए रखना है।

राज्य सहायता मिशन शुरू किया गया है। यह राज्यों की विकास रणनीतियों को उत्प्रेरित करने के लिए अत्याधुनिक परियोजनाओं की शुरुआत करेगा। इसके लिए यह एक बहु-विषयक इकोसिस्टम के रूप में कार्य करेगा।

स्रोत – द हिन्दू

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