मध्य प्रदेश में जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर पेसा नियम (PESA Rules) अधिसूचित
- हाल ही में मध्य प्रदेश ने जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर पेसा नियम (PESA Rules) अधिसूचित किए गए हैं।
पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) विधेयक,1996 के बारे में:
- ग्रामीण भारत में स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा देने हेतु वर्ष 1992 में 73वाँ संविधान संशोधन पारित किया गया। इस संशोधन द्वारा त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्था के लिये कानून बनाया गया।
- वर्ष 1995 में भूरिया समिति की सिफारिशों के बाद भारत के अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिये स्व-शासन सुनिश्चित करने हेतु पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) विधेयक,1996 अस्तित्व में आया। संसद ने संविधान के अनुच्छेद 243M(4) (b) के संदर्भ इसे पारित किया
- पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम (पेसा अधिनियम ) अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को विशेष अधिकार प्रदान करता है।
- इसका उद्देश्य पंचायतों से संबंधित संविधान के भाग IX का पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों तक विस्तार करना है।
- अनुसूचित क्षेत्रों वाले सभी राज्यों को अपनी भौगोलिक सीमाओं में पेसा अधिनियम लागू होने के एक वर्ष के भीतर पेसा के प्रावधानों को अपने मौजूदा पंचायती राज अधिनियमों में शामिल करने के लिए इन कानूनों में संशोधन करना होगा ।
- वर्तमान में 10 राज्यों में पांचवीं अनुसूची के क्षेत्र हैं। ये राज्य हैं- आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना ।
- इन दस राज्यों में से केवल आठ राज्यों (झारखंड और ओडिशा को छोड़कर) ने ही राज्य पंचायती राज अधिनियमों के तहत राज्य पेसा नियम बनाए हैं तथा अधिसूचित किए हैं।
पेसा नियमों का महत्व
- यह जनजातीय संस्कृति और अधिकारों की रक्षा करता है ।
- यह जनजातीय क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ने में विश्वास पैदा करता है।
- जनजातीय लोगों की शिकायतों / कष्टों को कम करता है ।
- विकास योजनाओं को मंजूरी देने में ग्राम सभाओं को अधिकार प्रदान करता है ।
- पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करता है ।
- राज्यों में पेसा के प्रावधानों के कार्यान्वयन के लिए पंचायती राज मंत्रालय नोडल मंत्रालय है।
पैसा के तहत ग्राम सभाओं की शक्तियां
- विकास परियोजनाओं के कारण प्रभावित लोगों के पुनर्वास और पुनर्स्थापन तथा गौण खनिजों(Minor minerals) के लिए सर्वेक्षण लाइसेंस / खनन पट्टे की पूर्व मंजूरी देने की शक्ति ।
- शराब की बिक्री / खपत को विनियमित और प्रतिबंधित करने, ग्रामीण बाजारों के प्रबंधन तथा अनुसूचित जनजातियों को दिए जाने वाले ऋण को नियंत्रित करने की शक्ति ।
- सामाजिक क्षेत्र में कार्यरत तथा स्थानीय योजनाओं से संबंधित संस्थाओं और कार्मिकों पर नियंत्रण की शक्ति ।
- लघु जल निकायों के प्रबंधन और गौण वनोपज के स्वामित्व की शक्ति ।
- भूमि अधिग्रहण के मामलों में अनिवार्य परामर्श की शक्ति तथा अनुसूचित क्षेत्रों में दूसरे लोगों द्वारा भूमि की खरीद को रोकने और बेची गई या हस्तांतरित भूमि पर फिर से कब्जा दिलाने की शक्ति ।
स्रोत – द हिन्दू