पाकिस्तान की बैलिस्टिक मिसाइल : गज़नवी

पाकिस्तान की बैलिस्टिक मिसाइल – गज़नवी

हाल ही में परमाणु क्षमता से युक्त सतह-से-सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल (गज़नवी) का पकिस्तान द्वारा सफल परीक्षण किया गया ।

इससे पहले पाकिस्तान ने बाबर क्रूज़ मिसाइल, शाहीन-3 और फतह-1 का परीक्षण किया था।

विदित हो कि,‘गज़नवी’ 290 KM की रेंज तक कई तरह के हथियार पहुँचाने में सक्षम होगी ।

बैलिस्टिक मिसाइल

  • बैलिस्टिक मिसाइल एक रॉकेट-चालित स्व-निर्देशित रणनीतिक-हथियार प्रणाली है, जो अपने प्रक्षेपण वाली जगह से एक पूर्व निर्धारित लक्ष्य तक पेलोड पहुँचाने के लिये बैलिस्टिक ट्रेजेक्टरी का अनुसरण करती है।
  • यह मिसाइल पारंपरिक विस्फोटकों के साथ ही रासायनिक और परमाणु हथियारों को भी ले जाने में समर्थ है।

बैलिस्टिक मिसाइल प्रसार को रोकने के लिए प्रमुख संगठन

‘बैलिस्टिक मिसाइल प्रसार के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय आचार संहिता’ (ICOC): जिसे अब ‘बैलिस्टिक मिसाइल प्रसार के खिलाफ हेग आचार संहिता’ (The Hague Code of Conduct Against ballistic missile proliferation -HCoC) के रूप में जाना जाता है, एक राजनीतिक पहल है । इसका उद्देश्य विश्व स्तर पर बैलिस्टिकमिसाइल प्रसार को रोकना है। बैलिस्टिक मिसाइल प्रसार के विरुद्ध हेग आचार संहिता को 25-26 नवंबर, 2002 में हेग में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में अपनाया गया था।

1 जून, 2016 को भारत 138वें देश के रूप में इस बैलिस्टिक मिसाइल प्रसार के विरुद्ध हेग आचार संहिता में सम्मिलित हो गया था ।

HCoC के कार्य

HCoC एक स्वैच्छिक, कानूनी तौर पर अबाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय विश्वास बहाली और पारदर्शी मंच है। यह जनसंहार के शस्त्रों की आपूर्ति करने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों का प्रसार रोकने के लिए कार्यरत है।

मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (Missile Technology Control Regime): मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (Missile Technology Control Regime), जिसे संक्षिप्त में ऍम॰ टी॰ सी॰ आर॰ (MTCR) भी कहते हैं।

  • यह कई देशों का एक अनौपचरिक संगठन है जिनके पास प्रक्षेपास्त्र व मानव रहित विमान (ड्रोन) से सम्बन्धित प्रौद्योगिक क्षमता है, और जो इसे फैलने से रोकने के लिये नियम स्थापित करते हैं। 27 जून 2016 को भारत इसका पूर्ण सदस्य बन गया।
  • MTCR का उद्देश्य बैलिस्टिक मिसाइलों और अन्य मानव रहित वितरण प्रणालियों के प्रसार को सीमित करना है, जिनका उपयोग रासायनिक, जैविक तथा परमाणु हमलों के लिये किया जा सकता है।

स्रोत –द हिन्दू

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