गिंडी राष्ट्रीय उद्यान

गिंडी राष्ट्रीय उद्यान

तमिलनाडु का गिंडी राष्ट्रीय उद्यान चेन्नई के शहर के लोगों को विभिन्न पारितंत्र सेवाएँ (Ecosystem Services) प्रदान करता है। पारितंत्र सेवाओं से तात्पर्य‘मानव कल्याण के लिये पारिस्थितिक तंत्र के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष योगदान देने से है।

गिंडी राष्ट्रीय उद्यान के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण तथ्य:

  • यह भारत का 8वां सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान है और उन प्रमुख राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है, जो शहर के अंदर अवस्थित होते हैं। यह चेन्नई के महानगरीय क्षेत्र के बीच में स्थित है। यह कोरोमंडल तट के उष्णकटिबंधीय शुष्क सदाबहार वनों के अंतिम भाग में से एक है।
  • ‘गिंडी राष्ट्रीय उद्यान’ की लगभग बाईस एकड़ जमीन को बाह्य-स्थाने संरक्षण (Ex- Situ Conservation) के लिये चिल्ड्रन पार्क के रूप में रूपांतरित किया गया है।
  • गिंडी राष्ट्रीय उद्यान के साथ एक गिंडी सर्प उद्यान भी यहाँ स्थित है। इसेसाल 1995 में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (Central Zoo Authority- CZA) से एक मध्यम चिड़ियाघर के रूप में वैधानिक मान्यता मिली हुई है ।
  • इस छोटे क्षेत्र को पूर्व में गिंडी डियर पार्क के नाम से जाना जाता था बाद में इसे वर्ष 1978 मे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।

वनस्पति और प्राणीजगत:

  • इसमें वृक्षों की तीस से अधिक प्रजातियाँ और कई शताब्दी पुराने विशाल बरगद के बड़े और घने वृक्ष मौजूद हैं।
  • इस क्षेत्र में काले हिरण, चित्तीदार हिरण, सियार, साँपों की भिन्न-भिन्न प्रजातियाँ, पक्षियों की 100 से अधिक प्रजातियाँ और तितलियों की 60 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

तमिलनाडु के अन्य राष्ट्रीय उद्यान:

धनुषकोडी मन्नार की खाड़ी में समुद्री राष्ट्रीय उद्यान
अनामलाई इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उद्यान, इसे पूर्व में अनामलाई वन्यजीव अभयारण्य के नाम से जाना जाता था
ऊटी मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान
मुदुमलाई मुदुमलाई राष्ट्रीय उद्यान

संरक्षण के प्रकार:

बाह्य-स्थाने संरक्षण (Ex- Situ Conservation): इस तरह के संरक्षण का आशय वनस्पति या जीवों के उनके मूल वातावरण या प्राकृतिक आवास के बाहर एक अलग स्थान पर संरक्षित करने से है। इस तरह की संरक्षण पद्धति के अंतर्गत जीन बैंक, बीज बैंक आदि का रखरखाव शामिल है।

स्व-स्थाने संरक्षण (In- Situ Conservation): इस तरह केसंरक्षण का आशय वनस्पति या जीवों को उनके प्राकृतिक आवासों में ही संरक्षित करने से है। इस तरह की पद्धति के अंतर्गत वन्यजीव अभयारण्यों, राष्ट्रीय उद्यानों आदि के रूप में प्राकृतिक आवासों का रखरखाव सम्मिलित  है।

स्रोत – द हिन्दू

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