केन-बेतवा नदी अंतर्योजन (KBRIL) परियोजना

केन-बेतवा नदी अंतर्योजन परियोजना

हाल  ही में जारी ‘करंट साइंस’ के अध्ययन के अनुसार केन-बेतवा नदी अंतर्योजन (KBRIL) परियोजना से पन्ना टाइगर रिजर्वको खतरा है।

KBRIL भारत की प्रथम नदी-जोड़ो परियोजना है। इसका उद्देश्य मध्य प्रदेश में केन नदी से अधिशेष जल को उत्तर प्रदेश की बेतवा नदी में स्थानांतरित करना है। इससे सूखा प्रभावित बुंदेलखंड क्षेत्र की सिंचाई संबंधी आवश्यकताओं को पूर्ण करने में मदद मिलेगी।

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्षः

  • KBRIL परियोजना, पन्ना टाइगर रिजर्व के मुख्य क्षेत्र केएक बड़े भाग के जलमग्न होने का कारण बनेगी।
  • इस रिज़र्व में क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (CTH) के 07% की अनुमानित क्षति होगी। इससे बाघ और इसकी प्रमुख शिकार प्रजातियों जैसे चीतल एवं सांभर को व्यापक हानि होने की संभावना है।

पन्ना टाइगर रिजर्व

  • यह उत्तरी विंध्य रेंज में अवस्थित है और सम्पूर्ण बुंदेलखंड क्षेत्र में एकमात्र टाइगर रिज़र्व है।
  • इसकी अवस्थिति महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह एकमात्र बाघ स्रोत क्षेत्र है, जो अरावली और विंध्य पर्वतमाला की बाघ आबादी को जोड़ता है। यह पचमढ़ी और अमरकंटक के पश्चात् मध्य प्रदेश से बायोस्फीयर रिजर्व के विश्व नेटवर्क में शामिल तीसरा बायोस्फीयर रिज़र्व है।
  • पन्ना टाइगर रिजर्व के क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट में पन्ना राष्ट्रीय उद्यानका सम्पूर्ण क्षेत्र और गंगऊ वन्यजीव अभयारण्य का हिस्सा शामिल है।

क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट

  • इसे बाघ अभयारण्य के कोर एरिया के रूप में भी जाना जाता है। वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत इनकीपहचान की जाती है। इसे राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाता है।
  • ये राष्टीय उद्यानों/अभयारण्यों के सीमांकित क्षेत्र हैं। इन्हें वनवासियों के अधिकारों को प्रभावित किए बिना, बाघ संरक्षण के प्रयोजनों के लिए सुरक्षित रखा जाता है।
  • भारत में क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट के तहत सबसे बड़ा क्षेत्रः नागार्जुनसागर-श्रीशैलमटाइगर रिज़र्व है।

स्रोत – द हिन्दू

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