संसदीय समिति ने ई- फार्मेसी नियमों को लागू करने की मांग की
हाल ही में वाणिज्य पर संसद की स्थायी समिति ने ‘भारत में ई-कॉमर्स का संवर्धन और विनियमन’ शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है।
इस रिपोर्ट में समिति ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoH&FW) से ई-फार्मेसी नियमों के मसौदे को अंतिम रूप देने और उन्हें बिना किसी देरी के लागू करने की सिफारिश की है ।
समिति की अन्य प्रमुख टिप्पणियां –
- दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर कई तरह की आपत्तियों और चिंताओं के बावजूद भी इसे विनियमित नहीं किया गया है। ये आपत्तियां व चिंताएं मुख्य रूप से केमिस्ट दुकानों ने व्यक्त की हैं।
- विनियमों के अभाव में अवैध या अनैतिक दवाओं या पुरानी, प्रतिस्थापित या नकली दवाओं के वितरण पर भी चिंता प्रकट की गई है।
- ई-फार्मेसी, फार्मेसी का एक प्रकार है। इसके अंतर्गत दवाओं को इंटरनेट के माध्यम से बेचा जाता है और ग्राहकों तक पहुंचाया जाता है।
ई-फार्मेसी के लाभ:
- डॉक्टरों द्वारा लिखी गई दवाओं (prescription medicines) का ऑर्डर देना आसान होगा ।
- धन और समय की बचत होती है,
- पारंपरिक फार्मेसी की तुलना में कई तरह के विकल्प उपलब्ध कराती है आदि ।
ई- फार्मेसी से नुकसान:
- भौतिक मूल्यांकन क्षमता का अभाव है । इसका आशय है कि दवा की दुकानों पर दवाओं की प्रत्यक्ष रूप से जांच की जा सकती है,
- डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बिना रोगियों तक दवा पहुंचाई जा सकती है,
- व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी की गोपनीयता उजागर होने का भी खतरा बना रहता है आदि ।
समिति की प्रमुख सिफारिशें –
MoH& FW को व्यापक दिशा-निर्देश तैयार करने की आवश्यकता है।
इन दिशा-निर्देशों में निम्नलिखित को शामिल किया जाना चाहिए –
- ई-फार्मेसी/ई-स्वास्थ्य प्लेटफॉर्म द्वारा दवाओं की बिक्री के क्रम में बरती जाने वाली समुचित सावधानियां;
- दवाओं की ऑनलाइन बिक्री के लिए समुचित प्राधिकारी के पास अनिवार्य पंजीकरण करवाना आदि । व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 को अंतिम रूप देना और अधिनियमित करना बहुत जरूरी है।
- इसका कारण यह है कि यह विधेयक डेटा के स्वामित्व और भंडारण के संबंध में नियम बनाने के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत प्रदान करेगा।
स्रोत – द हिन्दू