ज़ीरो कूपन रिकैपिटलाइजेशन बॉण्ड्स

ज़ीरो कूपन रिकैपिटलाइजेशन बॉण्ड्स

 

  •  सरकार ने पंजाब और सिंध बैंक के पुनर्पूंजीकरण (रिकैपिटलाइजेशन) हेतु 5,500 करोड़ रुपए की कीमत के स्पेशल ज़ीरो कूपन रिकैपिटलाइजेशन बॉण्ड्स जारी किये हैं।
  •  ज़ीरो कूपन बॉण्ड, भारत सरकार की गैर-ब्याज धारक, गैर-हस्तांतरणीय विशेष प्रतिभूतियां होती हैं।


  • उद्देश्य:
  • इससे इन बैकों के ‘पूंजी-जोखिम भारित परिसंपत्ति अनुपात’ (कैपिटल टू रिस्क वेटेड एसेट्स रेशियों -सीआरएआर) में सुधार होगा। पूंजी-जोखिम भारित परिसंपत्ति अनुपात’(सीआरएआर )
  •  सीआरएआर किसी बैंक की कुल संपत्ति और उसकी जोखिम भारित संपत्तियों का अनुपात होता है। इसे पूंजी पर्याप्तता अनुपात (कैपिटल एडूकेसी रेशियों –सीएआर) के नाम से भी जाना जाता है।
  •  भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 12% की सीएआर बनाए रखने पर ज़ोर दिया जाता है।
  •  जब कोई बैंक बढ़ते गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) के कारण सीएआर बनाए रखने में अक्षम होता है, तब राज्य द्वारा संचालित बैंकों में पूंजी पर्याप्तता मानदंडों को पूरा करने के लिये उनमें बांड या अन्य किसी माध्यम से पूंजी डाली जाती है। बैंक पुनर्पूंजीकरण:
  •  बैंक पुनर्पूंजीकरण से आशय, बैंकों के लिये अतिरिक्त पूंजी उपलब्ध कराना है, जिससे बैंक के सफल संचालन के लिये आवश्यक पूंजी पर्याप्तता मानदंडों को पूरा किया जा सके।
  •  भारत सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सबसे बड़ी शेयरधारक है, अतः संकट की स्थिति में इन बैंकों के पुनर्पूंजीकरण की ज़िम्मेदारी भी सरकार की ही होती है।
  •  इस प्रकार भारतीय रिज़र्व बैंक और बैंक नियामक व्यावसायिक बैंकों को अतिशय जोखिम लेने से और दिवालिया होने से रोकते हैं। ज़ीरो कूपन बॉण्ड:
  •  ज़ीरो कूपन बॉण्ड, भारत सरकार की गैर-ब्याज धारक, गैर-हस्तांतरणीय विशेष प्रतिभूतियां हैं। इन्हें शुद्ध छूट बॉण्ड या डीप डिस्काउंट बॉण्ड के रूप में भी जाना जाता है। इसे एक रियायती मूल्य पर खरीदा जाता है और फंडधारकों को कोई कूपन या आवधिक ब्याज़ का भुगतान नहीं किया जाता है।
  •  ज़ीरो कूपनबॉण्ड की खरीद मूल्य और परिपक्वता अवधि के मध्य बराबर का अंतर, निवेशक की वापसी का संकेत देता है। ज़ीरो कूपन बॉण्ड सामान्यत: 10 से 15 वर्ष की समयावधि के लिये ज़ारी किये जाते हैं। सामान्य जीरो बांड और विशेष जीरो बांड में अंतर: विशेष ज़ीरो कूपन बॉण्ड समान रूप से ही जारी किये जाते हैं, परंतु उन पर कोई ब्याज़ प्राप्त नहीं होता है,जबकि सामान्य ज़ीरो कूपन बॉण्ड पर छूट दी जाती है, इसलिये वे तकनीकी रूप से ब्याज वहन करते हैं। गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) :
  •  बैंकों के लोन को तब एनपीए में शामिल कर लिया जाता है, जब तय तिथि से 90 दिनों के अंदर उस पर बकाया ब्याज तथा मूलधन की किस्त नहीं चुकाई जाती है। प्रभाव:
  • बढ़ते एनपीए का बैंकों पर तीन मुख्य प्रभाव पड़ता है:
  •  बैंकों के लोन देने की क्षमता घट जाती है।
  •  बैंकों के मुनाफे में कमी आती है।
  •  बैंकों के नकदी का प्रवाह घट जाता है।
बैंकों के पुनर्पूंजीकरण नीति:

ज्ञात हो कि भारत सरकार ने बैंकों की हालत सुधारने के लिए बैंकों को ₹2.11 लाख करोड़ की धनराशि अतिरिक्त पूंजी के रूप में देने का फैसला किया है। इनमें से ₹1.35 लाख करोड़ रिकैपिटलाइजेशन बांड्स के रूप में देने की योजना है, बाकी ₹76000 करोड़ में से ₹18,000 करोड़ इंद्रधनुष योजना के तहत बजट से स्वीकृत किये जाएंगे और शेष ₹58,000 करोड़ बैंक खुद बाजार से जुटाएंगे। पुनर्पूंजीकरण बैंकों के पूंजी आधार को मजबूत करेगा तथा यह उनके लिए क्रेडिट निर्माण करने में मदद करेगा। पंजाब एंड सिंध बैंक:

  •  पंजाब एंड सिंध बैंक भारत सरकार के उपक्रम है, जिसकी स्‍थापना 24 जून, 1908 को पंजाब एण्‍ड सिंध बैंक लिमिटेड के नाम से पंजाब के अमृतसर में हुई थी।
  •  बैंक 15 अप्रैल, 1980 को बैंक अधिग्रहण कानून के तहत राष्‍ट्रीयकृत बैंक में बदल गया और उसका नाम पंजाब एंड सिंध बैंक कर दिया गया। स्रोत-पीआईबी, इंडियन एक्सप्रेस, द हिन्दू

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