‘हेल्थ केयर इन इंडिया–ट्रांसफॉर्मिंग थू इनोवेशन’ रिपोर्ट
हाल ही में नैसकॉम (NASSCOM) ने ‘हेल्थ केयर इन इंडिया-ट्रांसफॉर्मिंग थू इनोवेशन’ रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट, उभरती प्रौद्योगिकियों और नवाचारों की वजह से भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में हुए बदलावों पर केंद्रित है।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष–
- वर्ष 2016-22 के बीच भारतीय स्वास्थ्य सेवा बाजार में 5 गुना वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2022 के अंत तक इसके 370 अरब डॉलर से अधिक तक पहुंचने की उम्मीद है।
- भारत में वर्तमान में 2,000 से अधिक हेल्थटेक स्टार्टअप हैं। इनमें 4 यूनिकॉर्न भी शामिल हैं।
- वर्ष 2016-21 के बीच मेडिकल कॉलेजों में 35% की वृद्धि हुई है। इसी के साथ सरकारी स्वास्थ्य व्यय में भी तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
- इसके अलावा कुछ अन्य पहले भी की गई हैं जैसे- ई-संजीवनी, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, आयुष्मान भारत योजना आदि।
संवृद्धि और नवाचार को बढ़ावा देने वाले कारक–
- जीवन प्रत्याशा में वृद्धि (वर्ष 2025 तक 70 वर्ष) से वर्ष 2041 तक देश की आबादी में वरिष्ठ नागरिकों की हिस्सेदारी 16% तक पहुंचने का अनुमान है।
- आय में वृद्धि से वर्ष 2032 तक 70 मिलियन और लोग मध्यम वर्ग में शामिल हो जाएंगे।
- गैर-संचारी रोगों की वजह से उपचार लागत में बढ़ोतरी हो सकती है।
अन्य कारक
- स्वास्थ्य बीमा की पहुंच अब भी कम है। लगभग 30% जनसंख्या को बीमा की आवश्यकता है।
- टेलीमेडिसिन और दूरस्थ चिकित्सा में और वृद्धि होने की उम्मीद है।
- टियर-2 व टियर-3 शहरों में प्रति व्यक्ति आय और स्वास्थ्य सेवा की मांग में वृद्धि के कारण अस्पताल अवसंरचना क्षेत्र में व्यापक उछाल आने की संभावना है।
- अधिक आधुनिक तकनीक जैसे; पहनने योग्य उपकरण, रोबोटिक सर्जरी आदि से व्यापक बदलाव होने की संभावना है।
प्रमुख सिफारिशें
- सभी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य ऐप बनाया जाना चाहिए।
- स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों की कमी को पूरा करने के लिए अधिक कार्यबल को प्रशिक्षित करने की जरूरत है।
- सार्वजनिक खरीद के लिए आसान मानदंड निर्धारित किए जाने चाहिए।
- प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल का डिजिटलीकरण और सैंडबॉक्स (कम विनियमन) दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।
स्रोत –द हिन्दू