हेट स्पीच मामले में बिना किसी शिकायत के भी प्राथमिकी (FIR) दर्ज
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हेट स्पीच मामले में बिना किसी शिकायत के भी प्राथमिकी (FIR) दर्ज की जाएगी।
- सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2022 के आदेश के दायरे को तीन राज्यों (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश) से विस्तारित करते हुए अन्य सभी राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे हेट स्पीच की घटनाओं पर स्वतः संज्ञान लेकर प्राथमिकी दर्ज करें। न्यायालय ने औपचारिक शिकायत की प्रतीक्षा किए बिना अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया ।
- साथ ही, यह भी कहा कि इस आदेश के अनुपालन में किसी भी तरह की लापरवाही को न्यायालय की अवमानना माना जाएगा।
- हेट स्पीच को भारत के किसी भी कानून में परिभाषित नहीं किया गया है। इसे अभिव्यक्ति के किसी भी रूप के माध्यम से व्यक्त किया जा सकता है। इनमें चित्र, कार्टून, वस्तु, इशारा और प्रतीक शामिल हैं । हेट स्पीच को ऑफलाइन या ऑनलाइन माध्यम से प्रसारित किया जा सकता है
- भारतीय विधि आयोग की 267वीं रिपोर्ट के अनुसार आम तौर पर नस्ल, नृजातीयता, लिंग, लैंगिक रुझान, धार्मिक विश्वास और इसी तरह के संदर्भ में परिभाषित व्यक्तियों के समूह के खिलाफ घृणा के लिए उकसाने को हेट स्पीच कहा जाता है ।
- विधि आयोग ने विशेष रूप से हेट स्पीच को आपराधिक बनाने के लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) में दो नई धाराओं (153C और 505A) को जोड़ने का प्रस्ताव दिया है।
हेट स्पीच के लिए कानून
- IPC, 1860 की अलग-अलग धाराएं (जैसे – 153A, 153B, 298 आदि) ऐसे भाषण या शब्दों के खिलाफ दंडात्मक उपबंध करती हैं, जो नुकसान पहुंचा सकते हैं या राष्ट्रीय अखंडता के लिए खतरा उत्पन्न कर सकते हैं।
- संविधान के अनुच्छेद 19 (2) के तहत वाक् (बोलने) और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर लोक व्यवस्था, शिष्टाचार या नैतिकता आदि के आधार पर युक्तियुक्त प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।
स्रोत – द हिन्दू