हीटवेव 2022: कारण, प्रभाव और भारतीय कृषि के लिए आगे की राह
हीटवेव (लू) का एक विश्लेषण और अध्ययन केंद्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान ने किया था। यह संस्थान भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अधीन है।
हीटवेव के कारण:
- राजस्थान के पश्चिमी हिस्सों में प्रति-चक्रवात (मार्च) की स्थिति और पश्चिमी विक्षोम की अनुपस्थिति (वर्षा की अनुपस्थिति) से शुरुआती एवं चरम हीटवेव की स्थिति पैदा हुई है।
- प्रति-चक्रवात, वायुमंडल में उच्च दबाव प्रणालियों के आसपास हवाओं के नीचे आने से गर्म और शुष्क मौसम का कारण बनते हैं।
हीट वेव का प्रभाव:
- इससे अनाज में पीलापन आ जाता है और ये सिकुड़ जाते हैं। इससे फसल समय से पहले पक जाती है।
- इसके अन्य दुष्प्रभाव हैं; नमी जन्य दबाव, सनबर्न, फूलों का गिरना आदि।
- दुधारू जानवर / पक्षियों की भूख में कमी हो जाती है और शरीर का तापमान अधिक हो जाता है।
हीटवेव शमन के लिए सुझाव:
- फसल की सही किस्मों को चुनाव, पशुओं को नहलाना और मल्चिंग तकनीक (जैसे प्लास्टिक मल्चिग) को अपनाना चाहिए।
- समय पर बुवाई और ताप–सहिष्णु गेहूं की फसल की किस्मों जैसी PBWO3, DBW187 आदि को अपनाना चाहिए।
- पत्ते और फूल आने की अवस्था में पोटेशियम नाइट्रेट का छिड़काव उपज की हानि को कम करता है।
- गन्ने, मेड़ (ridge) और हल रेखा (furrow) में मल्चिग (खरपतवार से ढकना) करने से मिट्टी की नमी बनी रहती है तथा दबाव कम होता है। फलदार पेड़ों को धूप से बचाने के लिए उन्हें छायादार जाल/ सूती कपड़े से ढक देना चाहिए।
- हीट वेव (HW) को किसी क्षेत्र में वास्तविक तापमान के संदर्भ में तापमान सीमा के आधार पर या उसके सामान्य तापमान से अत्यधिक विचलन के आधार पर परिभाषित किया जाता है।
स्रोत –द हिन्दू