हिमालयी जलविद्युत परियोजना (HEP) को अनुमति

हिमालयी जलविद्युत परियोजना (HEP) को अनुमति

सात हिमालयी जलविद्युत परियोजना (HEP) को अनुमति प्रदान करने के लिए मंत्रालयों ने सहमति व्यक्त की है ।

वर्ष 2013 की उत्तराखंड बाढ़ के उपरांत से HEP की व्यवहार्यता पर जारी वाद के तहत सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय में एक हलफनामा दायर किया गया था। इसके अनुसार, सात परियोजनाओं को मुख्य रूप से इस आधार पर निर्माण कार्य पूरा करने की अनुमति दी गई है कि वे 50% से अधिक पूर्ण हो चुकी थीं।

हालांकि, गंगा के ऊपरी खंड में किसी अन्य नई परियोजना की अनुमति नहीं दी जाएगी।

पहले से स्वीकृत परियोजनाओं को पर्यावरणीय नियमों का पालन करना होगा, जो नदी को निर्मल/स्वच्छ/स्वस्थ बनाए रखने के लिए वर्षभर नदी में न्यूनतम प्रवाह निर्धारित करते हैं।

देश की कुल 1,48,700 मेगावाट जलविद्युत क्षमता में से भारतीय हिमालयी क्षेत्र (IHR) की हिस्सेदारी लगभग 79% है। हालांकि, अभी तक केवल 16% का ही उपयोग किया जा सका है।

पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील भारतीय हिमालयी क्षेत्र (IHR) पर HEP निर्माण के प्रभावः

भूवैज्ञानिकः भूमिगत निर्माण के साथ सुरंगों में विस्फोट भूस्खलन/ढलानों की अस्थिरता को प्रेरित करता है , स्प्रिंग्स (मुख्यतया उष्ण जल स्रोत) और भूमिगत जल स्रोत सूख सकते हैं।

नदी तटों पर मलबा इत्यादि एकत्रित होने से नदी में गाद की मात्रा में वृद्धि हो रही है।

जलवायु परिवर्तन से संबंधित आपदाएं जैसे अकस्मात बाढ़ (flash floods), हिमनद झीलों का टूटना तथा मेघ प्रस्फुटन इस क्षेत्र में व्यापक क्षति पहुंचाने वाले प्रभावों में और वृद्धि कर देती हैं।

सात परियोजनाएं और संबंधित नदियां

परियोजनाएँ: नदियाँ

  1. विष्णुगढ़ पीपलकोटी: अलकनंदा नदी
  2. तपोवन विष्णुगढ़: धौलीगंगा नदी
  3. सिंगोलीभटवारीःमंदाकिनी नदी
  4. फाटा-बुयोंगः मंदाकिनी नदी
  5. टिहरी चरण: भागीरथी नदी
  6. मध्यमहेश्वरः मध्यमहेश्वर गंगा
  7. कालीगंगा : कालीगंगा नदी

स्रोत – द हिन्दू

Download Our App

More Current Affairs

Share with Your Friends

Join Our Whatsapp Group For Daily, Weekly, Monthly Current Affairs Compilations

Related Articles

Youth Destination Facilities

Enroll Now For UPSC Course