हिंद महासागर द्विध्रुव ( IOD) और अल-नीनो

हिंद महासागर द्विध्रुव ( IOD) और अल-नीनो

इस साल अल नीनो पहले से ही प्रशांत महासागर में मजबूती से सक्रिय हो चुका है। इसके बावजूद कई मौसम विज्ञान एजेंसियों ने एक धनात्मक IOD विकसित होने की संभावना प्रकट की है।

IOD पश्चिमी हिंद महासागर और पूर्वी हिंद महासागर के बीच समुद्री सतह के तापमान में अंतर है । इसलिए, इसे द्विध्रुव कहा जाता है ।

अल नीनो- दक्षिणी दोलन (ENSO) और IOD के बीच संबंध

हिंद महासागर में वायु परिसंचरण पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर होता है। ऊपरी स्तर पर यह विपरीत दिशा में होता है।

सामान्य वर्ष में पश्चिमी प्रशांत महासागरीय क्षेत्र से गर्म जल हिंद महासागर में प्रवेश करता है। इससे वायु गर्म होकर ऊपर उठती है और वायु परिसंचरण को मजबूत करती है ।

अल-नीनो के दौरान प्रशांत महासागर का पश्चिमी भाग सामान्य से अधिक ठंडा हो जाता है। इसके कारण हिंद महासागर का पूर्वी भाग भी ठंडा हो जाता है। इससे धनात्मक IOD के विकास में मदद मिलती है।

जब पूर्वी हिंद महासागर की तुलना में पश्चिमी हिंद महासागर बहुत अधिक गर्म हो जाता है तो इसे धनात्मक IOD कहते हैं ।

इसी प्रकार ऋणात्मक IOD ला-नीना से संबंधित है।

शोधकर्ताओं का मानना है कि यद्यपि ENSO जैसे बाहरी कारक भी IOD को ट्रिगर कर सकते हैं, लेकिन कई बार यह स्थानीय परिसंचरण के कारण भी होता है।

धनात्मक IOD से अफ्रीकी तट और भारतीय उपमहाद्वीप में वर्षा होने में मदद मिलती है, जबकि पूर्वी हिंद महासागर से से लगे क्षेत्रों में कम वर्षा होती है। ऋणात्मक IOD की दशा में स्थिति इसके ठीक विपरीत होती है ।

यद्यपि ENSO की तुलना में, IOD का प्रभाव बहुत कमजोर होता है, परन्तु यह NESO के प्रभाव को कम कर सकता है ।

स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस

Download Our App

More Current Affairs

Share with Your Friends

Join Our Whatsapp Group For Daily, Weekly, Monthly Current Affairs Compilations

Related Articles

Youth Destination Facilities

Enroll Now For UPSC Course