हाल ही में चीन ने पहली बार भारत की ‘हिंद प्रशांत महासागर पहल’ (IPOI) को स्वीकार किया है।
आसियान (ASEAN)-चीन वार्ता संबंधों की 30वीं वर्षगांठ की पृष्ठभूमि में चीन ने पहली बार ‘हिंद-प्रशांत’ अवधारणा को स्वीकार किया है। इसे पर्यवेक्षक महत्वपूर्ण मान रहे हैं, क्योंकि चीन ने सदैव इसे एशिया-प्रशांत के रूप में संदर्भित किया है। साथ ही, चीन इसके तहत किसी भी संलग्नता को अस्वीकार करता आया है।
इसके अतिरिक्त, चीन ने भारत की हिंद प्रशांत महासागर पहल को मान्यता भी प्रदान की है। साथ ही, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव तथा हिंद-प्रशांत पर आसियान आउटलुक के मध्य सहयोग का आह्वान भी किया है।
भारत की इस पहल को नवंबर 2019 में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में लॉन्च किया गया था। यह देशों के मध्य एक मुक्त व गैर-संधि आधारित पहल है। इसका उद्देश्य क्षेत्र में साझा चुनौतियों के लिए सहकारी और सहयोगी समाधान हेतु मिलकर कार्य करना है।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर विभिन्न देशों के अलग-अलग उपागम हैं, जो एक स्वतंत्र और मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र के व्यापक भू-रणनीतिक विचार के साथ एक-दूसरे का समर्थन करतेहैं। उदाहरण के लिए जापान का फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक (FOIP) विज़न वर्ष 2016 में अस्तित्व में आया था।
भारत के हिंद प्रशांत महासागर पहल IPOI के स्तंभ
- समुद्री सुरक्षा,
- समुद्री पारिस्थितिकी और समुद्री संसाधन,
- क्षमता निर्माण और सूचना साझाकरण,
- समुद्री कनेक्टिविटी तथा आपदा प्रबंधन।
IPOI भारत की संलग्नता के बहुपक्षीय दृष्टिकोण को प्रतिध्वनित करता है। यह क्षेत्रीय एकीकरण के लिए न केवल आसियान केंद्रित है, बल्कि हिंद-प्रशांत कनेक्टिविटी, संधारणीय अवसंरचना और आर्थिक ।
स्रोत – द हिन्दू