“हाथ से मैला उठाने की प्रथा”
केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (MoSJE) के अनुसार देश के केवल 66% जिले ही “हाथ से मैला उठाने की प्रथा” से मुक्त हैं।
MoSJE के अनुसारः
- देश के कुल 766 जिलों में से केवल 508 जिलों ने स्वयं को “हाथ से मैला उठाने की प्रथा” से मुक्त घोषित किया है।
- वर्ष 2013 और 2018 में किए गए सर्वेक्षणों में “हाथ से मैला उठाने के कार्य में लगे सभी लोगों की पहचान की गई थी। इनकी संख्या लगभग 58,000 थी ।
- देश में पिछले तीन वर्षों (2019 से 2022 ) में हाथ से मैला उठाने के कारण किसी भी व्यक्ति की मृत्यु नहीं हुई थी ।
- इस प्रथा से संबंधित एकमात्र वर्तमान खतरा ‘सीवर और सेप्टिक टैंक की खतरनाक तरीके से सफाई है।
हाथ से मैला उठाने (Manual Scavenging) की प्रथा के बारे में:
- सीवरों या सेप्टिक टैंकों से मानव मल को हाथ से हटाने के कार्य को ‘हाथ से मैला उठाने की प्रथा कहा जाता है।
- इस प्रथा की परिभाषा में सेप्टिक टैंक, नालियों या रेलवे पटरियों को साफ करने के कार्य में लगाए गए व्यक्तियों को भी शामिल किया गया है।
- इस प्रथा को “हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013” (PEMSR) के तहत प्रतिबंधित किया गया है।
- इस कानून का उल्लंघन करने पर 2 साल तक की कैद या एक लाख रुपए का जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है।
स्रोत – द हिन्दू